tag:blogger.com,1999:blog-8525728233055104202.post2512577851422009741..comments2023-12-31T11:13:55.877+05:30Comments on कविता मंच: ....सीमेंट के इस जंगल में -- आशा लाता सक्सेना :)kuldeep thakurhttp://www.blogger.com/profile/11644120586184800153noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8525728233055104202.post-21461473593954998062014-02-05T16:23:42.661+05:302014-02-05T16:23:42.661+05:30Shukriya sharma ji :)))Shukriya sharma ji :)))संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8525728233055104202.post-58258976770976908052014-02-04T22:23:42.023+05:302014-02-04T22:23:42.023+05:30शुक्रिया आपकी निरंतर उपस्थिति का हृदय से आभार। बहु...शुक्रिया आपकी निरंतर उपस्थिति का हृदय से आभार। बहुत सुन्दर रचना है यह। <br /><br />सीमेंट के इस जंगल में<br />चारों ओर दंगल ही दंगल<br />वाहनों की आवाजाही<br />भीड़ से पटी सड़कें<br />घर हैं या मधुमक्खी के छत्ते<br />अनगिनत लोग रहते<br />एक ही छत के नीचे<br />रहते व्यस्त सदा<br />रोजी रोटी के चक्कर में<br />आँखें तरस गयीं<br />हरियाली की एक झलक को<br />कहने को तो पेड़ लगे हैं<br />पर हैं सब प्लास्टिक के<br />हरे रंग से पुते हुए<br />दिखते सब असली सेvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com