ब्लौग सेतु....

14 अगस्त 2013

15 अगस्त...

मैं 15 अगस्त हूं कहता हूं तुम से, सोचो  हम क्यों गुलाम हुए,
वो सब कुछ हम फिर न करें, जिस कारण हम गुमनाम हुए।
मैंने खुद रोते देखा था,  अपनी प्यारी भारत मां को,
राम कृष्न के वंशज होकर भी,  हम जग में  बदनाम हुए।
हर हिन्दूस्तानी का जीवन था केवल,  पिंजरे में बन्द पंछी सा,
नारी का अस्तित्व, पुरूष का पौरुष, हमारे  ख्वाब तक भी  निलाम हुए।
कुछ महापुरूषों ने सपना देखा, खुशहाल स्वतंत्र भारत का,
इस सपने को पूरा करने, कयी देश भक्त महान हुए।
मैं साक्षी हूं हर कुर्वानी  का, मैंने हर शहीद  पर सुमन चढ़ाये,
शव गिनते गिनते थक गया था,  असंख्य वीर कुर्वान हुए।
मैं 15 अगस्त करता हूं आवाहन, भ्रष्टाचार को जड़ से  मिटाओ,
देखो हमारी उन पुरानी भूलों के, क्या क्या  भयानक परिणाम हुए।

2 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. न केवल देश प्रेम है इस मे अपितु एक आह्वान है उन लोगो को जो राष्ट्र के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं पर यह मान कर कुछ नहीं करते की अकेले मेरे करने से क्या होगा। मई जब भी किसी व्यक्ति को Reiki Healing देता हूँ मई उस से फीस स्वरूप देश के लिए कुछ करने का वादा ले लेता हूँ। धीरेन्द्र ब्रह्मचारी

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