मेरे शब्द ,
अब
मुझसे भी कुछ नहीं कहते ,
चुप से खड़े हैं
परछाईयाँ थामे ,
कर दिया है
उनका श्राद्ध ,
प्रेम के मन्त्रों ने
शिवानी गौर जी की कलम से निकली कुछ पंक्तियाँ
अब
मुझसे भी कुछ नहीं कहते ,
चुप से खड़े हैं
परछाईयाँ थामे ,
कर दिया है
उनका श्राद्ध ,
प्रेम के मन्त्रों ने
शिवानी गौर जी की कलम से निकली कुछ पंक्तियाँ
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सटीक अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंBahut hi umdaaa ......!!
जवाब देंहटाएंवाह ।
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