कब तक यूं दुखी रहेगा |
ये धरती का भगवान |
सबका ये है पेट भरता |
फिर भी रोज़ मरता किसान |
नंगी धरती का करता |
नित्य नया शृंगार |
इनकी ही बदौलत |
खेतों में आती बहार |
फिर क्यों पल- पल सहता अपमान |
सबका ये है पेट भरता |
फिर भी रोज़ मरता किसान |
करता खेतों की रखवाली |
मेहनत से आठों प्रहर |
कभी अपनों से दर्द सहता |
कभी कुदरत का कहर |
पल -पल खो रहा अपनी पहचान |
सबका ये है पेट भरता |
फिर भी रोज़ मरता किसान |
कुदरत के सूखे में |
आंसू के बीज बोता |
उमीदो के आसमान पर |
पानी की बूँद के लिए रोता |
क़र्ज़ तले दबा , देता अपनी जान |
सबका ये है पेट भरता |
फिर भी रोज़ मरता किसान |
इनका दुःख-दर्द सब भूले |
सरकार हो या जनता |
ये वो धरती पुत्र हैं |
जिनसे देश खुशहाल है बनता |
इनकी अनदेखी से, धूमिल हुई देश की शान |
सबका ये है पेट भरता |
फिर भी रोज़ मरता किसान |
गिरता , पड़ता , रोता , बिलखता |
पर कभी उठ नहीं पाता |
भीड़ भरी दुनिया में |
सदा अपने को अकेला पाता |
सबकुछ जान कर भी, हम बने अनजान |
सबका ये है पेट भरता |
फिर भी रोज़ मरता किसान |
वो दिन अब दूर नहीं |
जब इनकी अनदेखी पड़ेगी भारी |
बंज़र होगी सारी धरती |
और सूखी रहेगी हर क्यारी |
बनेगी हरीभरी धरा शमशान |
सबका ये है पेट भरता |
फिर भी रोज़ मरता किसान |
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15 फ़रवरी 2016
धरती का भगवान
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ji dhanyawaad
जवाब देंहटाएंकुदरत के सूखे में
जवाब देंहटाएंआंसू के बीज बोता
उमीदो के आसमान पर
पानी की बूँद के लिए रोता
क़र्ज़ तले दबा , देता अपनी जान
सबका ये है पेट भरता
फिर भी रोज़ मरता किसान
उम्दा प्रस्तुति।
bahut bahut dhanyawaad
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