क्या है 'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद'
?
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मित्रो !
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' , छंद
शास्त्र और साहित्य-क्षेत्र में मेरा एक अभिनव प्रयोग है |
इस छंद की रचना करते हुए मैंने इसे १६-१६
मात्राओं के ६ चरणों में बाँधा है,
जिसके हर चरण में ८ मात्राओं के उपरांत सामान्यतः (कुछ
अपवादों को छोडकर ) आयी 'यति'
इसे गति प्रदान करती है |
पूरे छंद के ६ चरणों में ९६ मात्राओं का समावेश
किया गया है |
'नव कुंडलिया 'राज'
छंद' की
एक विशेषता यह भी है कि इसके प्रथम चरण के प्रारम्भिक 'कुछ
शब्द' इसी छंद के अंतिम चरण के
अंत में पुनः प्रकट होते हैं | या इसका प्रथम चरण पलटी
खाकर छंद का अंतिम चरण भी बन सकता है |
छंद
की दूसरी विशेषता यह है कि इस छंद के प्रत्येक चरण के 'कुछ
अंतिम शब्द ' उससे आगे
आने वाले चरण के प्रारम्भ में शोभायमान होकर चरण के कथ्य को ओजस बनाते हैं |
शब्दों के इस प्रकार के दुहराव का यह क्रम सम्पूर्ण
छंद के हर चरण में परिलक्षित होता है | इस
प्रकार यह छंद 'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' बन
जाता है |
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' में
मेरा उपनाम 'राज '
हो सकता है बहुत
से पाठकों के लिये एतराज का विषय बन जाए या किसी को इसमें मेरा अहंकार नज़र
आये | इसके लिये विचार-विमर्श
के सारे रास्ते खुले हैं |
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' पर
आपकी प्रतिक्रियाओं का मकरंद इसे ओजस बनाने में सहायक सिद्ध होगा |
------रमेशराज
रमेशराज के 'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद'
में 7 बालगीत
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' में
बालगीत-1
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"
जल-संकट हो, अगर कटे
वन
अगर
कटे वन, सूखे सावन
सूखे सावन, सूखे
भादों
सूखे
भादों, खिले न सरसों
खिले
न सरसों, रेत प्रकट हो
रेत
प्रकट हो, जल-संकट
हो | "
(रमेशराज )
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' में
बालगीत-2
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मत
मरुथल को और बढ़ा तू
और
बढ़ा तू मत गर्मी-लू,
मत
गर्मी-लू, पेड़ बचा
रे
पेड़
बचा रे, वृक्ष लगा रे,
वृक्ष
लगा रे, तब ही जन्नत
तब
ही जन्नत, तरु काटे
मत |
(रमेशराज )
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' में
बालगीत-3
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नटखट
बन्दर छत के ऊपर
छत
के ऊपर , झांके घर - घर
झांके
घर - घर , कहाँ
माल है ?
कहाँ
माल है ? कहाँ दाल है
?
कहाँ
दाल है ? मैं खाऊँ झट
मैं
खाऊँ झट , सोचे नटखट
| "
(रमेशराज )
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' में
बालगीत-4
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" बबलू जी जब कुछ तुतलाकर
तुतलाकर बल खा इठलाकर ,
इठलाकर थोड़ा मुस्काते
मुस्काते या बात बनाते ,
बात बनाते तो हंसते सब
सब संग होते बबलू जी जब |
(रमेशराज )
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' में
बालगीत-5
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" फूल - फूल पर तितली
रानी
तितली रानी लगे सुहानी ,
लगे सुहानी इसे न पकड़ो
इसे न पकड़ो, ये
जाती रो ,
ये जाती रो खेत - कूल पर
खेत - कूल पर फूल - फूल पर |
(रमेशराज )
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' में
बालगीत-6
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"
बढ़ा प्रदूषण , खूब कटें
वन
खूब कटें वन
, धुंआ - धुँआ घन
धुंआ - धुँआ घन , जाल
सड़क के
जाल सड़क के , मरुथल
पसरे
मरुथल पसरे , तपता
कण - कण
तपता कण - कण , बढ़ा
प्रदूषण | "
(रमेशराज )
'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद' में
बालगीत-7
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" बस्ता भारी लेकर बच्चा
लेकर बच्चा , सन्ग
नाश्ता
सन्ग नाश्ता , पढ़ने
जाये
पढ़ने जाये , पढ़
ना पाये
पढ़ ना पाये पुस्तक सारी
पुस्तक सारी , बस्ता
भारी | "
(रमेशराज )
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+रमेशराज, 15/109, ईसानगर, a अलीगढ़-202001
mo.-9634551630
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-10-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2508 में दिया जाएगा ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सुन्दर ।
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