tag:blogger.com,1999:blog-8525728233055104202.post1793744254236178985..comments2023-12-31T11:13:55.877+05:30Comments on कविता मंच: इम्तहान जिंदगी का -- पूनम श्रीवास्तवkuldeep thakurhttp://www.blogger.com/profile/11644120586184800153noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8525728233055104202.post-68307521541746618802015-09-10T16:11:37.928+05:302015-09-10T16:11:37.928+05:30बहुत बढ़िया बहुत बढ़िया सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8525728233055104202.post-73642299484906250632015-09-10T10:14:28.949+05:302015-09-10T10:14:28.949+05:30उम्दा रचना
दिल के पास है लेकिन निगाहों से बह ओझ...उम्दा रचना<br /><br /><br />दिल के पास है लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं<br />क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी। <br /><br />जिनके साथ रहना हैं ,नहीं मिलते क्यों दिल उनसे<br />खट्टी मीठी यादों को संजोने का ,है खेल जिंदगी।<br /> <br />किसी के खो गए अपने, किसी ने पा लिए सपनें<br />क्या पाने और खोने का ,है खेल जिंदगी।<br /><br />उम्र बीती और ढोया है, सांसों के जनाजे को<br />जीवन सफर में हँसने रोने का, है खेल जिंदगी।<br /><br />किसी को मिल गयी दौलत, कोई तो पा गया शोहरत<br />मदन बोले , काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18391630430260559342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8525728233055104202.post-80257334018399085792015-09-10T07:03:48.321+05:302015-09-10T07:03:48.321+05:30उम्दा रचना पढ़वाई है संजय |
उम्दा रचना पढ़वाई है संजय |<br />Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.com