अब मम्मी
सौगन्ध तुम्हारी
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हम हाथों में पत्थर लेकर
और न बन्दर के मारेंगे,
समझ गये हम तभी जीत है
लूले-लँगड़ों
से हारेंगे।
चाहे कुत्ता भैंस गाय हो
सब हैं जीने के अधिकारी,
दया-भाव
ही अपनायेंगे
अब मम्मी सौंगंध तुम्हारी।
छोड़ दिया मीनों के काँटा
डाल-डाल
कर उन्हें पकड़ना,
और बड़े-बूढ़ों
के सम्मुख
त्याग दिया उपहास-अकड़ना,
जान गये तितली होती है
रंग-विरंगी
प्यारी-प्यारी
इसे पकड़ना महापाप है
अब मम्मी सौंगध तुम्हारी।
खेलेंगे-कूदेंगे
लेकिन
करें साथ में खूब पढ़ायी,
सोनू मोनू राधा से हम
नहीं करेंगे और लड़ाई
हम बच्चे हैं मन से सच्चे
भोलापन पहचान हमारी
अब मम्मी सौगंध तुम्हारी।
+रमेशराज
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