कृष्ण-रूप में कंस जैसे हर शासक के प्रति-
“जै कन्हैयालाल
की!
[ लम्बी तेवरी तेवर-शतक
]
+रमेशराज
.....................................................
+जन को न रोटी-दाल, जै कन्हैयालाल की!
नेताजी को तर माल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+टूटती बसें या ट्रेन ये प्रगति देश की
रोज-रोज हड़ताल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+खुशियों का मानसून अँखियों से दूर है
सूख गये सुख-ताल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+अब तो बधिक बीच आदमी का सद्भाव
बकरे-सा है हलाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ देश पर आप कर्ज विश्व-बैंक का
लाद-लाद हो निहाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौजी हरित क्रान्ति खूब देखी आपकी
पीले-पीले पात-डाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+खुशियों के नाम पर बीता हर मास यूँ
साल गयी हर साल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+हर ओर बृज बीच आफतें ही आफतें
सूदखोर खींचें खाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+पहले भ्रष्टाचार ये सौम्य था-सरल था
रूप आज विकराल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+जनता के ऊधौ भये इस युग देखिए
सूख के छुआरे गाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+खान-पान की भी चीज जेब से परे हुई
कीमतें भरें उछाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+अब न खाये रोटियाँ, रोटियों से खेलता
उसको सजे हैं थाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ताल झील सिन्धु नदी पोखरें दिखें जहाँ
डालते विदेशी जाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+कहो जिसे धर्म तुम उसके बीच है
ज़िन्दगी का अर्थ काल,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+भजनों की शाम किन्तु कैबरे के साथ है
जिसमें न सुर-ताल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
ऊधौजी जिसे भी मित्र लोग आज कहते
चले है कुटिल चाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
नारे देती राजनीति भयमुक्त लोक के
वक्ष पै टिका के नाल,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
आज हैं सुरक्षा-हित धूप-बरसात से
छेदयुक्त तने जाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
मन में हैं काम-क्रोध, लोभ-मोह जिसके
टीके से सजा है भाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ज़िन्दगी के दाता रोज़ ज़िन्दगी के प्रश्न को
कल पै रहे हैं टाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+उसको सुराज कहें बार-बार साँवरे
गुण्डों के जहाँ धमाल ,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+सत्य को नसीब नहीं झोंपड़ी का सुख भी
घर पाप का विशाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+सबकुछ गड्ड-मड्ड, राजनीति है खड्ड
घाल में हू और घाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+रोशनी के बीच खड़ी असुरों की भीड़ ने
आदमी लिया खँगाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+सेब-संतरे का जूस आज तो कसैला है
‘कोक’ ने किया कमाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+जिसमें बसी थी एक आस्था की सदी नेक
भूले वह भूतकाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+जीये आज राजनीति मार के संवेदना
गेंडे जैसी ओढ़ खाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ आज छायी हर सुजन विपन्नता
नंग हुए मालामाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+गज के मानिंद झूम-झूम बढे़ भूमि पै
मस्त नेता चले चाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+जिसकी तिजारियों में जन के स्वप्न कैद
श्याम को उसी का ख्याल,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+अर्चनाएं देव की न, साधु की न संत की
आज तो पुजें चँडाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+बने हैं पुजारी लोग आज यूँ अहिंसा के
बेच रहे मृग-छाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+विदेशियों से प्रीति क्यों पूछे कौन श्याम से,
किसकी कहाँ मजाल? जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+केवल अँगूठे नहीं माँगे आज द्रोणजी
भील को करें हलाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+आये वृक्ष-रोपण को ऊधौ आज लोग जो
काट रहे डाल-डाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+नंग करें दंग बात जब चले लाज की
पूर्ण बनें अरधाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+जनता की नेत्र-ज्योति छीनने में वो लगे
नाम जो रखें कुणाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+नेताजी को याद कहाँ आज भक्ति देश की
भूले दिशा देशपाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+सबके ही साथ घटे आज एक हादसा
कौन बचा बाल-बाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+जनता के सुख रहा ऊधौ कहाँ भाग्य में
आपदा लिखी हैं भाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+क़ातिलों के बीच शोक, करुणा-दया भरे
कौन पूछता सवाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+सुख की हरेक कथा बनी आज त्रासदी
ज़िंदगी हुई मुहाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+वक्त की कटार हुई तेज से भी तेज है
आदमी हुआ निढाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+शत्रुता की भावना में जो बहे रात-दिन
हाथ में लिये गुलाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+शिक्षा का सरोज ओज है आज असहाय
गुरुजी करें कमाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+वार करे रात-दिन जो किरदार आज
किसकी बनेगा ढाल? जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+मंच पे चढ़े जो लोग बात करें क्रान्ति की
ज़िंदगी में रीतकाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+मन की व्यथा या पीर कहा कहें ऊधौजी
बाल की खिंचेगी खाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+दौर है तमाचेदार, बोल रहे हैं लोग
लाल होंगे और गाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+सृष्टि के सृजक संत, देख लो ये मौत के
मंत्र को रहे उछाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+नंग करें दंग-भंग ज़िन्दगी की खुशियां
ठोंक-ठोंक पठे-ताल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+कैसे होगा मुक्त मन रोग की गिरफ्रत से?
खुशियों की हड़ताल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+भूख, प्यास और सह, राम का नाम जप
बोल रहे नन्दलाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ डालो आज तुम साँच-पाँव बेड़ियाँ
झूठ को करो बहाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+श्याम के उलट काम जल भंडार जहाँ
खोद रहे वहाँ ताल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ब्याहि दईं दुष्टन कूँ नोट-भर बेटियाँ
भेज दईं ससुराल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+फाड़ रही महँगाई मुँह दूना-चौगुना
सुरसा-सा विकराल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+सोच से परे का खेल मंदी-भरा दौर ये,
कीमतों में क्यों उछाल?
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+किस-किस का विवश ‘विक्रम’ जवाब दे
डाल-डाल ‘वैताल’, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+श्याम का निजाम यह लोग मरें भूख से
चोर भये मालामाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+बहेलियों के हाथ में आज़ादी के नाम पै
पंछियों की देखभाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+लू से भरी आंधियाँ हैं जनता के भाग में
श्याम बसे नैनीताल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+त्याग प्रेम, याद करें भाव आलू-प्याज के
आज सोनी-महिवाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+न्याय की गुहार पर खायें लात-लीतरे
ब्रज के ये गोपी-ग्वाल,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+मुंसिफों ने वाद सुने श्याम के सुराज में
कान बीच रुई डाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ नीति, प्रीति, रीति छल की प्रतीति-सी
और न करो निहाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+अश्व सहें धूप-ताप और कोप शीत का
गदहों को घुड़साल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+आज हैं मलिन वस्त्र सत्य के बदन पै
झूठ-तन मणिमाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+देख ये निजाम आज राधिका भी बोलती-
आये क्रांति का उबाल,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+बतलाओ सरकारी चाहे जिस खेत को
आपके हैं लेखपाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ खोदिए कबर गाड़ दीजे सत्य को
हाथ आपके कुदाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+कंस जैसे दंश लिये श्याम आज घूमते
ऐसी न मिले मिसाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+कुछ को ही लाभ देना रीति घनश्याम की
आमजन को अकाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+धन्य है उदारवाद! देश में बनी आज
दानवों की ससुराल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ मत पूछिएगा हाल आज देश का
प्रेत बैठे डाल-डाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+जीत गये हर जंग डाल रंग मोहना
खोटी गिन्नियाँ उछाल,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ अब दिन-रात काटे हैं गरीब ने
घास-फूँस खाय छाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+प्रतिभा से युक्त लोग खाते फिरें ठोकरें
नकली बनें मिसाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
कैसे उपचार कैसे समाधान आपके?
मन में उठें सवाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+देखत लगै न भली ऊधौ अब आपकी
सत्य की कदमताल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+‘भेद डाल राज करो’ बनी नीति आपकी
खेल आपका विशाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+श्याम पात-पात चलें, रोज छलें ब्रज को
ऊधौ हैं फुलक-डाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
छलभरी-विषभरी हर बात आपकी
कितना करें मलाल? जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ ऊधौ पांच साल बाद अब हैं चुनाव तो
आप हैं बड़े दयाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+श्याम के कुशासन की, छल-भरे रूप की
ऊधौ बनिए न ढाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+मोहन के राज बीच जनता के हाल ये-
भूख, आपदा,
अकाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ सच बात कहें हो अपच आपके
सत्य की ही खींचो खाल,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+दूर का करोगे दुक्ख, सुक्ख कहा लाओगे?
और दोगे फंद डाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+बगुला भगत आप, मान गये ऊधौजी
आपके तिलक भाल! जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+झूठ की न खोलो आप आज पोथी-पत्तरा
और न गलेगी दाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+हमसे ही श्याम करें प्रेम-भरी बतियाँ
हमें ही करें हलाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+जहाँ-जहाँ जल-बीच नाचती मछलियाँ
छोड़ दिये घड़ियाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+रीतिपाल, प्रीतिपाल, सच्चे प्रतीतिपाल
देख लिये नीतिपाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+नेह की न एक पास बूँद घनश्याम के
सूख गयी डाल-डाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+फल-मेवा ठूँसे जायँ नरिहा की नरि में
घूरे पै पड़े गुलाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऐसे दबे पाँव दुःख वृद्ध करे सुख को
जैसे हो सफेद बाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+जनता के बीच जय इसलिए आपकी
पीठ से टिकाओ नाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+घने अंधकार बीच रोशनी के प्रश्न को
कल पै रहे हो टाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+मछली-सी काया अब ऊधौजी हमारी है
आप बने घड़ियाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ईद घर आपके है किन्तु हमें देखिए
बकरे-से हैं हलाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ मनमोहन से बोलना राम-राम
बैठे कान रुई डाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+ऊधौ सुनो भय-भरे आपके निजाम का
कल होगा इन्तकाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+भाव-भाव घाव भरा, कटु अभिव्यक्तियाँ
आज तेवरों में ज्वाल,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+तेवरी ‘विरोध-भरी’ वर्णिक छंद बीच
क्रान्ति की लिये मशाल,
जै कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
+तेवरी के तेवरों में आज ये संकेत हैं
ऊधौ खून में उबाल, जै
कन्हैयालाल की! नीति है कमाल की!!
...............................................................................
+रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630
कुछ भी हो बस बोलते जाओ..... जै कन्हैयालाल की!
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक चिंतन। .
hardik abhar kavita ji
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