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19 अक्तूबर 2016

खाली काग़ज़- तूलिका शर्मा

सारी रात.......
शब्द बुने...अर्थ गढ़े
दिन के उजाले मे
कुछ मानी तलाशे
और फिर.....
शाम की हथेली पर
बस खाली काग़ज़ रख दिया
....................
क्या वो नज़र
पढ़ पाएगी ये अफ़साना ?

लेखक परिचय - तूलिका शर्मा 


2 टिप्‍पणियां:

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