रमेशराज की तेवरियाँ
----------------------------------------------------------
रमेशराज की तेवरी....1
.............................................
हर कोई आहत मिलता है
दर्दों में जड़वत मिलता |
कुंठा जलन घुटन सिसकन का
अब खुशियों को खत मिलता |
नवयुवकों के अहंकार में
एक महाभारत मिलता |
अभिवादन को खड़ीं तल्खियाँ
पीड़ा का स्वागत मिलता |
सबके स्वाभिमान का किस्सा
छल के आगे नत मिलता |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....2
.............................................
बस्ती में जन-जन घायल है
फूलों जैसे मन घायल |
आज दहेज बिना निर्धन की
बेटी का यौवन घायल |
जब से हुयी व्यवस्था बाघिन
सच का रोज हिरन घायल |
सुख के बादल नहीं बरसते
सावन भरे नयन घायल |
आज अभाव घाव देता है
बिन खुशबू चन्दन घायल |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....
.............................3
हम कब खाते हैं अब रोटी
खातीं हमें रोटियां रे |
उनके पेटों की खातिर हम
बनते रहे सब्जियां रे |
कितनी बीतीं सदियाँ प्यारे
कटी नहीं हथकड़ियाँ रे |
शब्दों के भीतर माचिस की
रख तो सही तीलियाँ रे |
सर से पांवों पर आनी हैं
कल को सभी टोपियाँ रे |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....4
.............................................
रोते-रोते सुबह हुयी है
नयन भिगोते रात कटी |
हंसी डसी अधरों की गम ने
आहत होते रात कटी |
सुख बोना चाहा था हमने
दुःख को बोते रात कटी |
दिन-सी राधा बोल रही है
मोहन खोते रात कटी |
सुबह मिली मैली की मैली
चादर धोते रात कटी |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....5
.............................................
बात-बात में घात हज़ारों
मुलाकात में घाव भरे |
जिसे महकना था फूलों-सा
उसी बात में घाव भरे |
खुशियों की बीमार फसल है
पात-पात में घाव भरे |
धनिया झुनिया या हो मरियम
गात-गात में घाव भरे |
घूम कबीरा जग में आया
कायनात में घाव भरे |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....6
.............................................
खायी रोटी रख हाथों पर
कहां मिली है थाली रे |
सूरज से दीपक अच्छा है
सुबह जहाँ हो काली रे |
गाल बजा मत खाली प्यारे
ला आँखों में लाली रे |
तेरे हिस्से में आयी है
अब तक विष की प्याली रे |
सिर्फ फाइलों में बंदी है
अब तक हर खुशहाली रे |
नैतिकता की बातें लगतीं
अब तो जैसे गाली रे |
होगा वार पेड़ पीछे से
सम्हल समय के बाली रे |
आज सियासी बातों पर तू
पीट न ऐसे ताली रे |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....7
.............................................
पहले से ही कठिन राह थी
और हुयी अब मुश्किल रे |
पत्थर धड़क रहे सीनों में
कहाँ रहे वैसे दिल रे |
इतनी बेचैनी है भीतर
मन जाता अब छिल-छिल रे |
बनकर मोम रौशनी तो दी
भले गले हम तिल-तिल रे |
बूँद-बूँद को तरस रहे अब
सब नदियों के साहिल रे |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....8
.............................................
साँपों में तब ही भय होगा
पैदा हो जनमेजय रे |
ढूंढ रहे हम चिंगारी को
कुछ तो अपना आशय रे |
आदमखोर बना डालेगा
आचरणों का ये क्षय रे |
और और तू और देखना
व्यभिचारों का विनमय रे |
ज्वालामुखियों को फटना है
आज नहीं तो कल तय रे |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....9
.............................................
कहीं नहीं अब स्वागत भाई
सब में तंग ज़हनियत रे |
सुख-संदेश बने अब सब ही
कोने फटे हुए खत रे |
ज़हर-सरीखा मन कर देता
जो दीखता अमृतवत रे |
पेड़ स्वयं में छत होते हैं
क्या मांगेंगे ये छत रे |
ये जंगें लम्बी खिंचनी है
ऐसे भाई चुक मत रे |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....
.............................................
जितने हम शालीन दिख रहे
उतने ही संगीन सुनो |
हम अर्जुन हैं, हम बींधेंगे
इस निज़ाम की मीन सुनो |
चिन्तन के घोड़ों पर कस लो
संकल्पों की जीन सुनो |
ज़ख्मी करते, पंख नोचते
वे हैं करुणाहीन सुनो |
छल-प्रपंच के बल सारे खल
कुर्सी पर आसीन सुनो |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....10
.............................................
बड़े बुरे हालात सखी री
रहबर करते घात सखी |
ये वसंत कैसा वसंत है
सूखे टहनी-पात सखी |
आज हमारी रक्षा करने
डाकू हैं तैनात सखी |
सत्ता की साजिश के चाकू
गोद रहे हैं गात सखी |
आज देश में बेईमानी
है नरसी का भात सखी |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....11
.............................................
आये दिन अब काले बहिना
भूख-गरीबी वाले री |
बात करें क्या अंधियारों की
डसते आज उजाले री |
सत्य बोलने पर हैं अब तो
हर ज़ुबान पर ताले री |
हर शासन ने गर्दन-गर्दन
केवल फंदे डाले री |
कर तू चोट इसतरह कुछ री
हर सिंहासन हाले री |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....12
.............................................
आग-आग अब गाऔ बहिना
ऐसौ गीत उठाऔ री |
जिसमें हो इस तम का मातम
ऐसौ पाठ पढ़ाऔ री |
नेता सभी नाशपीटे हैं
क्या विश्वास जताऔ री |
आज सुलगते-से मंजर हैं
छप्पर-छान बचाऔ री |
दुःख से जो तुम लड़ना सीखौ
तभी सुखों को पाऔ री |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....13
.............................................
सब करते हैं चोट सखी री
दें किसको हम वोट सखी |
लाले पड़े इधर रोटी के
वे चरते अखरोट सखी |
ओढ़ लिए दुःख ऐसे हमने
जैसे ओवरकोट सखी |
चित भी उनकी, पट भी उनकी
ऐसी चलते गोट सखी |
अब न दाल सुख की गलती है
चाहे जितना घोट सखी |
बाहर-बाहर सब सच्चे हैं
भीतर-भीतर खोट सखी |
यहाँ न पुजता खरा रुपैया
पुजता खोटा नोट सखी |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....14
.............................................
घर में माल न दाल सखी री
हर सुख हुआ हलाल सखी |
सुख के दर्शन कहीं नहीं हैं
क्या पीहर-ससुराल सखी |
मीन-मीन को बीन रहे हैं
मछुआरों के जाल सखी |
मरुथल का छल सब में बोले
क्या पोखर क्या ताल सखी |
मन की चिड़िया क्या नभ छूए
पंख-पंख बेहाल सखी |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....
..............................15.
ये कैसा मधुमास सखी री
हर मन बड़ा उदास सखी |
सुख तो हैं परदेश आजकल
दर्दों का सहवास सखी |
आते-आते अब अधरों तक
तोड़े दम परिहास सखी |
मरुथल जल को तरस रहे हैं
नदिया के मन प्यास सखी |
सपने अपने अब बन बैठे
टूटे हुए गिलास सखी |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....16
.............................................
मांगो सुविधा-साधन लोगो
तोड़ो-तोड़ो बंधन लोगो !
जिनसे थी पहचान समय की
टूट गये वे दर्पन लोगो !
सर ऊंचा कर जीना सीखो
क्यों तुम में बंधुआपन लोगो !
तुम भूखे पर वे चरते हैं
अब तो मिसरी-माखन लोगो !
अब तो लाओ कुछ खुशहाली
सामाजिक परिवर्तन लोगो !
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....17
.............................................
गीत प्यार के अब तू गा रे
लय न समय की हारे रे |
आंत-आंत पर आज भूख के
चलते जमकर आरे रे |
अब तो रोज सियासत देती
केवल झूठे नारे रे |
रोटी नहीं, हाथ पर तेरे
वे रखते अंगारे रे |
ठगते रहते हरदम तुझको
वोटों के बंजारे रे |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....
.............................................
ज़हर-भरा है जाम सियासत
षड्यंत्रों का नाम सियासत |
इसे भुनाया नित नेता ने
वैसे खोटा दाम सियासत |
कभी दगती तीर-गोलियां
कभी छुरा ले थाम सियासत |
तेरे चक्कर में अब भूखा
नंगा हुआ अवाम सियासत |
गुंडे तस्कर या चोरों का
तू है नैतिक धाम सियासत |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....18
.............................................
तुम न हुए शिक्षाप्रद लोगो
बात बुरी ये बेहद है |
एक ज़िबहखाना पंछी का
आज बना हर गुम्बद है |
बौने फिर भी रहते बौने
दर्प भले आदमक़द है |
मंत्री जी के नकली आंसू
ये अवाम पर गदगद है |
भाषण-नारों का हंगामा
आज हमारी संसद है |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....19
.............................................
अब तो यही टाट हैं सखि री
टूटी हुयी खाट हैं सखि |
यह तीरथ हो या वो तीरथ
रहजन घाट-घाट हैं सखि |
आज रौशनी रहे अनमनी
अंधकार विराट हैं सखि |
यह सुख की कैसी बस्ती है
उर के सुर उचाट हैं सखि |
जिनको खुला-खुला रहना था
बंद वही कपाट हैं सखि |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....20
.............................................
दुःख की आज कटारी सखि री
चले बदन पर आरी सखि |
मुद्दत हुए मिली ना सँग-सँग
रोटी औ’ तरकारी सखि |
अब तो खर्चे ही खर्चे हैं
मुआ पाँव है भारी सखि |
दुःख-दर्दों से अटी हुयी है
सुख की हर अलमारी सखि |
आज वतन को बेच रहे हैं
वोटों के व्यापारी सखि |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....
.............................................
दुःख-दर्दों को नित पीते हैं
लोग यहाँ पर जीते हैं |
रात कटी चिंता में डूबे
दिन कैसे भी बीते हैं |
सबको नोच-नोच कर खाते
अब सिस्टम के चीते हैं |
कंठ-कंठ में प्यास डोलती
मन के सब घट रीते हैं |
शब्दों की चोटें नित सहते
हम टाइप के फीते हैं |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....21
.............................................
जिनकी आँखें नम हैं ग़म से
उन लोगों से प्यार करें |
तूफ़ानों में जो घबरायी
उस किश्ती को पार करें |
इस सिस्टम से लड़ना हमको
हर जुल्मी पर वार करें |
ढूंढ रहे हैं हम चिंगारी
इस सच का सत्कार करें |
इस निजाम की आज पीठ पर
चाबुक जैसी मार करें |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....22
.............................................
वे हम सबको लूट रहे हैं
बाज-गिद्ध से टूट रहे |
ये कैसा क़ानून है जिसमें
सब अपराधी छूट रहे |
लोग आजकल बारूदों में
चिंगारी-से फूट रहे |
आज हमारी यही वीरता
हम निर्बल को कूट रहे |
सच को आयीं चोटें गहरी
कूट आजकल बूट रहे |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....23
.............................................
लोगों का ईमान रुपैया
लोगों की पहचान रुपैया |
आज बना रामायण-पाठन
गीता और क़ुरान रुपैया |
शोषण लूट खसोट कराता
फिर भी बना महान रुपैया |
रिश्वतखोरों चोरों के घर
रहता सीना तान रुपैया |
जो सच्चा मेहनतकश भोला
उससे है अंजान रुपैया |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....२४
.............................................
हर तन अब तो जलता भाई
मोम सरीखा गलता है |
दिन अनुबंधित अंधकार से
सूरज कहाँ निकलता है |
अब गुलाब भी इस माटी में
कहाँ फूलता-फलता है |
देनी है तो अब रोटी दे
नारों से क्यों छलता है |
यह ज़मीन कैसी ज़मीन है
सबका पाँव फिसलता है |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....25
.............................................
जिन्हें प्यार से टेरे साथी
वे दुश्मन हैं तेरे सुन |
केवल वंशज है साँपों के
अब जो दिखें सपेरे सुन |
धूप नहीं अब तम का जादू
सूरज रोज उकेरे सुन |
फिर आये नदिया के तट पर
लेकर जाल मछेरे सुन |
कविता को बांटो रोटी-सा
लोग भूख ने घेरे सुन |
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....26
.............................................
मन पर रख पत्थर कोने में
रोये अक्सर कोने में
|
महफिल-महफिल सभी हँसे पर
नैन गये भर कोने में।
चुपके-चुपके शीलभंग है
बल इज्जत पर कोने में।
एक अनैतिक गर्भधारिणी
जख्मों से तर कोने में, ।
अक्सर कुछ आहत सोचों की
छलकी गागर कोने में।
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....27
...........................................
कितनी क्षत-विक्षत बिस्तर पर
‘धनिया’ आहत बिस्तर पर।
विवश देह का रति-रस लेने
व्यभिचारी रत बिस्तर पर।
चीरहरण का चरण शुरू है
लुटनी इज्जत बिस्तर पर।
आँखों में शोले हैं लेकिन
अब काया नत बिस्तर पर।
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....8.
..................................................
रोते-रोते रात कटी है
नयन भिगोते रात कटी, यह दुर्घटना रोज घटी।
हँसी डसी अधरों की ग़म ने
आहत होते रात कटी, यह दुर्घटना रोज घटी।
सुख बोना चाहा था हमने
दुःख को बोते रात कटी, यह दुर्घटना रोज घटी।
दिन-सी राधा बोल रही है
मोहन खोते रात कटी, यह दुर्घटना रोज घटी।
सुबह मिली मैली की मैली
चादर धोते रात कटी, यह दुर्घटना रोज घटी।
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....28
............................................
बात-बात में घाव भरे हैं
मुलाकात में घाव भरे, तू सोच अरे!
खुशियों की बीमार फसल है
पात-पात में घाव भरे, तू सोच अरे!
धनियाँ झुनियाँ या हो मरियम
गात-गात में घाव भरे, तू सोच अरे!
जिसे महँकना था फूलों-सा
उसी बात में घाव भरे, तू सोच अरे!
घूम कबीरा जग में आया
कायनात में घाव भरे, तू सोच अरे!
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....29
.........................................................
बस्ती में जन-जन घायल हैं
फूलों जैसे मन घायल
|
आज दहेज बिना निर्धन की
बिटिया का यौवन घायल |
जब से हुई व्यवस्था बाघिन
मन का रोज हिरन घायल।
सुख के बादल नहीं बरसते
सावन बने नयन घायल।
आज अभाव घाव देता है
बिन खुशबू चन्दन घायल।
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....30
..................................................
हर कोई आहत मिलता है
दर्दों में जड़वत मिलता।
नवयुवकों के अहंकार में
एक महाभारत मिलता।
कुंठा जलन घुटन सिसकन का
अब खुशियों को खत मिलता।
अभिवादन को खड़ी तल्खियाँ
पीड़ा का स्वागत मिलता।
अब तो स्वाभिमान का किस्सा
धन के आगे नत मिलता।
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....31
..........................................................
क्षोभ और संत्रास भरा है
जन-जन का इतिहास यहाँ
|
अमन-चैन की सुखद रौशनी
कहाँ हमारे पास यहाँ
|
सिर्फ अँधेरों के घेरों में
करें आज हम वास यहाँ
|
इन्सानों के खूँ की सब में
बढ़ती जाती प्यास यहाँ
|
दूर-दूर तक केवल पतझर
आज यही मधुमास यहाँ
|
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....32
.................................................
पाँवों में जंजीर करें क्या
चुभें वक्ष में तीर यहाँ
|
अपने हिस्से छल के किस्से
दुःख की है जागीर यहाँ
।
बस्ती-बस्ती में द्रौपदि का
खिंचे आज भी चीर यहाँ।
नित कोठों पर नाच रही है
अब राँझे की हीर यहाँ।
खण्ड-खण्ड हर एक आस्था
बढ़ती जाती पीर यहाँ।
+रमेशराज
रमेशराज की तेवरी....33
....................................................
सत्य-धर्म का ज्ञान आजकल
हिंसा की पहचान यहाँ।
नैतिकता के बदल गये सब
मान ध्यान प्रतिमान यहाँ।
लगा रहे जो सिर्फ अँगूठे
बने हुए विद्वान यहाँ।
हम केवल नफरत ही सीखें
पढ़कर वेद-कुरान यहाँ।
लील गया फिरकों का जज्बा
अधरों के मृदुगान यहाँ।
.......................................................................
+रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001
मो.-9634551630
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअच्छी सुन्दर और प्रेरक।
जवाब देंहटाएंवाह वाह आदरणीय एक से बढ़कर एक.... बहुत सुंदर व मनभावन सृजन
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना
जवाब देंहटाएंThink you can tell which players will perform well in a cricket match? dimeapp.in is the place for you!
जवाब देंहटाएंOn dimeapp.in, you can create your fantasy cricket team for a real-life match and compete with other players for big prizes. Remember, there are cash prizes for every match, so you create your fantasy teams and win real money every day.
Can I actually win money on dimeapp.in?
Absolutely! Lots of players have already won big prizes on dimeapp.in and you can too. We host different kinds of cash contests, each with its own entry fee and prize money.
Choose a contest that you want to play, defeat the competition, and celebrate big wins!
Is it safe to add money to dimeapp.in?
Adding money to your dimeapp.in account is both simple and safe. We have many different payment options enabled on dimeapp.in and work hard to ensure that your personal details are safe with us.
What's more, after you verify your personal details, you can withdraw the money that you win on dimeapp.in directly to your bank account.