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17 मई 2015

मधु शाला 5 दोहो मे-जी पी पारीक



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मधुशाला मे शोर है, गणिका गाये राग!!
जाम भरा ले हाथ मे, पीने से अनुराग!!1!!

चषक लिये है साकिया, इतराती है चाल!!
सब पीकर है नाचते, ठुमकत दे दे ताल!!2!!

प्याला पीकर रस भरा, केवल रब का भान !!
लघुता या गुरूता नहि, सब मे एक ही जान !!3!!

हाला पीकर बावला, बजा रहा है गाल !!
सिर के उपर नाच रहा, स्वर्ण चषक ले काल !!4!!

मित् वत जिनको देखता, घट मे खोटे जान !!
प्याले से प्याला मिला, असल मीत है मान !!5!!

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