खामोश रही तू,
मैंने भी कुछ न कहा,
जो दिल में था हमारे,
दिल में ही रहा
न तूने कुछ कहा
न मैंने कुछ कहा
धड़कनों ने आवाज दी,
निगाहें फिर भी खामोश रही,
ग़म दोनों को होता था जुदाई का,
जिसे हमने खामोशी से सहा
न तूने कुछ कहा
न मैंने कुछ कहा
सोचता हू मै अब,
मौका इज़हार का कब आएगा,
जब दिल में छुपे जज़्बात
लबो पे अल्फाज़ बन सज जाएगा
सोचते ही रह गए हम
......न तूने कुछ कहा
......न मैंने कुछ कहा !
- संजय भास्कर
sundar rachna.............sundar prastutee
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंमैं जब कुछ नहीं लिखता
जवाब देंहटाएंऔर सोचता हूँ तुमको...
तो लिख जाती है
ऐसी न जाने कितनी
कवितायें...
जिनमें शब्द नहीं होते
बस .................... वाह !
sundar prastuti ..
जवाब देंहटाएंसोचते ही रह गए हम
जवाब देंहटाएं......न तूने कुछ कहा
......न मैंने कुछ कहा !
बहुत खूब , सुन्दर पंक्तियाँ सुन्दर भाव