लाल रंग से रंगा हर कक्ष है
एक सत्ता दूसरा विपक्ष है
न्याय की कुर्सी पे है बैठा हुवा
शक्ति उसके हाथ में प्रत्यक्ष है
चापलूसी भी तो आनी चाहिए
क्या हुवा जो कार्य में वो दक्ष है
आज सब कैदी रिहा हो जायेंगे
छल कपट ही आज का अध्यक्ष है
आज भी शकुनी का पक्ष है भारी
गया द्वापर प्रश्न फिर भी यक्ष है
धर्म के बदले हुवे हैं मायने
कृष्ण देखें आज किसके पक्ष है !!
लेखक परिचय - दिगंबर नासवा
एक सत्ता दूसरा विपक्ष है
न्याय की कुर्सी पे है बैठा हुवा
शक्ति उसके हाथ में प्रत्यक्ष है
चापलूसी भी तो आनी चाहिए
क्या हुवा जो कार्य में वो दक्ष है
आज सब कैदी रिहा हो जायेंगे
छल कपट ही आज का अध्यक्ष है
आज भी शकुनी का पक्ष है भारी
गया द्वापर प्रश्न फिर भी यक्ष है
धर्म के बदले हुवे हैं मायने
कृष्ण देखें आज किसके पक्ष है !!
लेखक परिचय - दिगंबर नासवा
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधर्म के बदले हुवे हैं मायने
जवाब देंहटाएंकृष्ण देखें आज किसके पक्ष है !!
बहुत सुन्दर !
वाह ! नासवा जी की इतनी सार्थक सशक्त रचना पढ़वाने के लिये धन्यवाद संजय जी ! वाकई
जवाब देंहटाएं'गया द्वापर प्रश्न फिर भी यक्ष है' ! हमें भी प्रतीक्षा है जानने की कि,
'कृष्ण देखें आज किसके पक्ष है' !
बहुत ख़ूब...
जवाब देंहटाएंसटीक रचना
जवाब देंहटाएंआभार संजय जी इस मंच पे मेरी रचना प्रकाशित करने का ...
जवाब देंहटाएंआप सभी का भी आभार इसको पसंद करने का ...
सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ।
मेरे ब्लॉग पर भी पधारें