खो गई है मुस्कानें मेरी,
मै ढुंढता चला हूँ |
मिलन आस मे उनकी,
हर पल चलता चला हूँ |
बहा ले गई गम की आँधी,
मुस्कान फुहारों को |
दे गई यादों की धूल
दिल के उजड़े गलियारों को |
उजड़े गलियारों में,
अनजान राही सा चलता चला हूँ |
खो गई है मुस्कानें मेरी,
मैं ढुंढता चला हूँ |
मंदिर मे ढुंढा, मस्जिद मे ढुंढा ,
ढुंढ लिया मैने गुरूद्वारों मे |
दिल मे जो छिपी थी,
कैसे मिलती वो दुनियां के दरबारों मे |
गम चमन के फूल भी ,
आँसूओं से, लगने लगे है अब
आँसूओ के फूल हर दर पे,
चढ़ाता चला हूँ|
खो गई है मुस्कानें मेरी,
मैं ढुंढता चला हूँ |
मिलन आस मे उनकी,
पल पल चलता चला हूँ |
खो गई है मुस्कानें मेरी,
मैं ढुंढता चला हूँ |
जी. एस परमार
मै ढुंढता चला हूँ |
मिलन आस मे उनकी,
हर पल चलता चला हूँ |
बहा ले गई गम की आँधी,
मुस्कान फुहारों को |
दे गई यादों की धूल
दिल के उजड़े गलियारों को |
उजड़े गलियारों में,
अनजान राही सा चलता चला हूँ |
खो गई है मुस्कानें मेरी,
मैं ढुंढता चला हूँ |
मंदिर मे ढुंढा, मस्जिद मे ढुंढा ,
ढुंढ लिया मैने गुरूद्वारों मे |
दिल मे जो छिपी थी,
कैसे मिलती वो दुनियां के दरबारों मे |
गम चमन के फूल भी ,
आँसूओं से, लगने लगे है अब
आँसूओ के फूल हर दर पे,
चढ़ाता चला हूँ|
खो गई है मुस्कानें मेरी,
मैं ढुंढता चला हूँ |
मिलन आस मे उनकी,
पल पल चलता चला हूँ |
खो गई है मुस्कानें मेरी,
मैं ढुंढता चला हूँ |
जी. एस परमार
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