जरा तुम इश्क को फिर से निखरने दो ।
महक तुम हुस्न की फिर से बिखरने दो ।।
यक़ी कर लूं मुहब्बत का तेरी फिर से ।
वफ़ा गर आग से फिर से गुजरने दो ।।
उसी ने काँच तोड़ा इस दफा फिर से ।
बटोरो मत इन्हें फिर से बिखरने दो ।।
बता दूँगा तेरा हर ऐब मैं फिर से ।
बशर्ते इश्क़ मे फिर से उतरने दो ।।
रूठा है वक़्त ये अबकी दफा फिर से ।
मुझे एक बार बस फिर से सवरने दो ।।
- हिमांशु मित्रा 'रवि'
महिला रचनाकारों का योगदान हिंदी ब्लॉगिंग जगत में कितना महत्वपूर्ण है ? यह आपको तय करना है ! आपके विचार इन सशक्त रचनाकारों के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना देश के लिए लोकतंत्रात्मक प्रणाली। आप सब का हृदय से स्वागत है इन महिला रचनाकारों के सृजनात्मक मेले में। सोमवार २७ नवंबर २०१७ को ''पांच लिंकों का आनंद'' परिवार आपको आमंत्रित करता है। ................. http://halchalwith5links.blogspot.com आपके प्रतीक्षा में ! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंWaah bahut sunder
जवाब देंहटाएंKamal likhte Hai aap
लाजवाब, सुंदर लय ताल समेटे उम्दा भावों वाली गजल।
जवाब देंहटाएं