इस दिल से तल्ख़ यादों को मिटा दे
हसरतों को तू कोई और जगह दे
इंसान की काठी कमजोर बहुत है
मिटटी में इसकी कुछ और मिला दे
हसरतों की बरातों को जगह नहीं है
शैतानो की बस्ती को शमशान बना दे
ऐ औरों के खुदा "अहमद" की तमन्ना है
जो कर सके प्यार, वो इंसान बना दे
-बदरुल अहमद
बेहतरीन रचना
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