@फोटो : गूगल से साभार
अब अच्छा लगता है
देखना जिंदगी को
पीछे मुडकर।
जब पहुंच गया है
मंजिल के पास
अपना ये सफर।
क्या पाया हमने
क्या खोया
सोचे क्यूं कर।
अच्छे से ही
कट गये सब
शामो सहर।
सुख में हंस दिये
दुख में रो लिये
इन्सां बन कर।
कुछ दिया किसी को
कुछ लिया
हिसाब बराबर....!!!
लेखक परिचय -- स्वप्नरंजिता ब्लॉग से आशा जोगळेकर