डरा सा बैठा है सीने में कहीं
एक ख्याल तेरा
फिर कभी यूँ आंसुओं में बह जाता है
अरमान मेरा
चुप है आज जिन्दगी मेरी
चुप सा है आज
आसमान मेरा
ढूढती फिरती हूँ
बीते हुए लम्हों में तुझे
आँखों में आज भी है
इन्तेजार तेरा
ऐ जाने वाले एक बार तो समझ
ये अधुरा सा प्यार मेरा.....!!
लेखक परिचय - पलक