मैं स्त्री हूँ इसलिए मैं
हर रिश्ते को काटती और बोती हूँ
हर रिश्ते के रास्ते से मैं गुज़री हूँ
हर रिश्ते को मैने जिया है
हर रिश्ते की कड़वाहट को मैंने पिया है
मैं एक स्त्री हूँ इसलिए मैंने
फटे टूटे नए पुराने सभी रिश्ते सिए हैं
सब रिश्तों को दम घुटने से बचाती हूँ
इसलिए पता नहीं मैं इस फेर में
कितनी बार जीती और मर जाती हूँ
कुछ रिश्ते ही सुख देते हैं
बाकी सब तो घावों से दुख देते हैं
पर मजबूरी सबको ढोना है
रिश्ते के ताने बांने का बिछौना है
नीदं भले ना आए
इसी पर हर स्त्री को सोना है |
लेखक परिचय - मधुलिका पटेल
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-07-2015) को "कौवा मोती खायेगा...?" (चर्चा अंक-2043) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार आपका शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए ।
हटाएंइस ब्लॉग से मधूलिका जी की यह रचना अच्छी लगी |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप का आशा जी । मेरी ब्लॉग को पढने और सराहाने का |
हटाएंबहुत सुंदर मधुलिका जी !!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आप का हर्ष जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप का कविता जी । आप जैसे बड़े रचनाकारों की जब सराहना मिलती है तब कलम में और उत्साह आ जाता है ।
हटाएंएक मार्मिक रचना है यह मधुलिका जी की।
जवाब देंहटाएंएक स्त्री विभिन्न परिस्थितियों का सृजन करती है , संवारती और उनमे से कुछ को काटती, छाँटती भी है और इस प्रक्रिया मे वोह कितने दर्द पीड़ाओं से गुजरती है उसस्का रूपांकन मधुलिका ने जितना बढ़िया किया है वोह अत्यंत प्रशंसनीय है भई, हमे तो इस रचना ने झकझोर ही डाला।
बहुत बहुत शुक्रिया आप का ब्रह्मचारी जी । मेरी रचना पढने और सराहने का |
हटाएंनारी मन दर्शाती मार्मिक रचना ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंबहुत बहुत आभार आप का दिगम्बर जी |आप के द्वारा मेरी रचनाओ को जो सराहना मिलती है उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया ।
हटाएंnari man ki vytha ka sundar chitran
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आप का सुनीता जी । मेरी रचना को सराहने का |
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