ब्लौग सेतु....

25 दिसंबर 2015

तलाश जारी है -- साधना वैद :)


ढूँढ रही हूँ इन दिनों
अपना खोया हुआ अस्तित्व
और छू कर देखना चाहती हूँ
अपना आधा अधूरा कृतित्व
जो दोनों ही इस तरह
लापता हो गये हैं कि
तमाम कोशिशों के बाद भी
कहीं मिल नहीं रहे हैं,
और उनकी तलाश में हलकान
मेरी संवेदनाएं इस तरह
संज्ञाशून्य हो गयी हैं कि
भावनाओं के कुसुम
लाख प्रयत्नों के बाद भी
किसी शाख पर अब
खिल नहीं रहे हैं !  
आस-पास हवाओं में बिखरी
तमाम आवाज़ों में
मेरा नाम भी खो गया है
और घर के तमाम पुराने
टूटे फूटे जर्जर सामान के बीच
मेरा कृतित्व भी कहीं
घुटनों में पेट दिए
गहरी नींद में सो गया है !
कल फिर से कोशिश करूँगी
शायद रसोईघर में साग सब्जी
काटती छीलती छौंकती बघारती
आटा गूँधती रोटियाँ बनाती या फिर
स्कूल में छुट्टी के वक्त
एक हाथ से बच्चों का हाथ थामे
और दूसरे हाथ में बच्चों का
भारी बैग उठाये जल्दी जल्दी
गेट के बाहर निकलने को आतुर
स्त्रियों की भीड़ में
मुझे मेरा चेहरा दिख जाए,
और बच्चों की किसी पुरानी कॉपी के
खाली पन्नों पर या
घर के हिसाब की डायरी के
पिछले मुड़े तुड़े पन्ने पर मुझे मेरा
कृतित्व कहीं मिल जाए !
रात बहुत हो गयी है
आप भी दुआ करिये कि
मेरी यह तलाश कल
ज़रूर खत्म हो जाए
और मेरे आकुल व्याकुल
हृदय को थोड़ा सा चैन तो
ज़रूर मिल जाए !  


5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-12-2015) को "मीर जाफ़र की तलवार" (चर्चा अंक-2202) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. धन्यवाद संजय ! आपने मेरी रचना को यह मान दिया और इस मंच पर प्रस्तुत किया उसके लिये हृदय से आपका आभार !

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  3. आपकी लेखनी अत्त्यन्त ही रोचक और शिक्षाप्रद है,ह्रदय से आभार व्यक़्त करता हूँ

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