ब्लौग सेतु....

19 नवंबर 2016

खुद से मुलाकात..

कल मैं खुद ही खुद से मिली,
खुद को समझाया,
खुद को ही डाँटा,
खुद ही परेशान रही.
खुद से बातें की,
पर खुद को न बदल पाई,
कितनी मुश्किल है खुद से मुलाकात,
ये कल ही मैं जान पाई,
बहुत अच्छा लगा खुद से मिलकर,
लगा खुदा से मिल आई हूँ,
और अब मैं खुद ही खुद बने रहना चाहती हूँ ,
हे ईश्वर बस!..मुझे खुद ही बनकर जीने देना,
मैं खुद को नहीं बदल पाउँगी,
जब -जब मन करेगा तुझसे मिलने का
मैं खुद ही खुद में चली आउँगी......
तू मुझसे यूँ ही मिलते  रहना,
तभी खुद की तरह जीने के लिये..
तेरी बनाई दुनियाँ को मैं समझ पाउँगी...

लेखक परिचय - अर्चना चावजी


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