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25 जनवरी 2017

रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत




रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत
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।। तिरंगा लहराए ।।
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देश रहे खुशहाल, तिरंगा लहराए
चमके माँ का भाल,तिरंगा लहराए।

आजादी का पर्व मनायें हम हँसकर
कुछ भी हो हर हाल तिरंगा लहराए।

व्यर्थ न जाए बलिवीरों की कुर्बानी
ऐसे ही हर साल तिरंगा लहराए।

इसकी खातिर चढ़े भगत सिंह फाँसी पर
मिटें हजारों लाल, तिरंगा लहराए।

कर देना नाकाम सुनो मेरे वीरो
दुश्मन की हर चाल, तिरंगा लहराए।

बुरी नजर जो डाले अपने भारत पर
खींचे उसकी खाल, तिरंगा लहराए।

दुश्मन आगे बढ़े, समर में कूद पड़ो
ठौंक-ठौंक कर ताल, तिरंगा लहराए।

दुश्मन भागे छोड़ समर को पीठ दिखा
ऐसा करें कमाल, तिरंगा लहराए।

भ्रष्टाचारी तस्कर देशद्रोहियों की
गले न कोई दाल, तिरंगा लहराए।
-रमेशराज



।। तिरंगा लहराए ।।
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रहे देश का मान तिरंगा लहराए
चाहे जाये जान, तिरंगा लहराए।

युद्धभूमि में हम सैनिक बढ़ते जाते
बन्दूकों को तान, तिरंगा लहराए।

वीर शहीदों ने देकर अपनी जानें
सदा बढ़ायी शान, तिरंगा लहराए।

हर दुश्मन के सीने को कर दें छलनी
हम हैं तीर-कमान, तिरंगा लहराए।

रहे हमेशा हँसता गाता मुसकाता
अपना हिन्दुस्तान, तिरंगा लहराए।

ऐसा रण-कौशल अपनाते हम सैनिक
दुश्मन हो हैरान, तिरंगा लहराए।

हम भोले हैं लेकिन हम डरपोक नहीं
अपनी ये पहचान, तिरंगा लहराए।

पूरा कर उसको पलभर में दिखलाते
लें मन में जो ठान, तिरंगा लहराए।
-रमेशराज



।। ऐसा मेरा हिन्दुस्तान ।।
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रही हमेशा मन में जिसके
केवल पंचशीलता,
भरी हुई जिसकी रग-रग में
करुणा दया सौम्यता।
जिसमें जन्मे लाल बहादुर जैसे कई महान,
ऐसा मेरा हिन्दुस्तान।

राणा वीर शिवाजी जैसा
पौरुष पाया जाता,
युग-युग से गौरव गाथाएँ
जिसकी ये जग गाता।
परमारथ के लिये तज दिये झट दधीचि ने प्रान,
ऐसा मेरा हिन्दुस्तान।

जिसके कण-कण में  बसती है,
फूलों-सी कोमलता।
जहाँ हर किसी चहरे पर है,
फूलों-सी चंचलता।
जहाँ पढ़ायी जाती संग-संग गीता और कुरान,
ऐसा मेरा हिन्दुस्तान।
-रमेशराज



।। वीर सिपाही।।
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सीमा पर जाकर डट जायें हम भारत के वीर सिपाही
झट दुश्मन को मार भगायें हम भारत के वीर सिपाही।

सीना तान हमेशा देते भर-भर जोश शत्रु को टक्कर
नहीं पीठ पर गोली खायें हम भारत के वीर सिपाही।

कितनी भी विपदाएँ आयें, कभी न डरते या घबराते
आफत बीच सदा मुस्कायें हम भारत के बीच सिपाही।

हम आते जब भृकुटी ताने दुश्मन काँपे थर-थर,थर-थर
अरि दहले बन्दूक उठायें हम भारत के वीर सिपाही।

नहीं देखते युद्धभूमि में आँधी  तूफाँ ओले वर्षा
अरि के पैटनटेंक उड़ायें हम भारत के वीर सिपाही।
-रमेशराज



।। हम भारत के वीर सिपाही।।
पर्वत में भी राह बनायें
बाधाओं से नहीं डरे हैं
सत्य-मार्ग पर सदा चलें हैं
ऐसे अति मतवाले राही
हम भारत के वीर सिपाही।

इतना बस सीखा है हमने
सूरज कब रोका तम ने
यदि कोई  ललकारे हमको
बिना दोष ही मारे हमको
ला देते हम अजब तबाही
हम भारत के वीर सिपाही।।
 -रमेशराज



।। वीर बालक।।
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झूठ को ठुकरायेंगे हम वीर बालक,
सत्य को अपनायेंगे हम वीर बालक।

हैं तो नन्ही जान लेकिन हौसले हैं
जुल्म से टकरायेंगे हम वीर बालक।

जान देते, सर कटाते देशहित हम
हर समय मुसकायेंगे हम वीर बालक।

देश की बातें हों जिन किस्सों के भीतर,
गीत ऐसे गायेंगे हम वीर बालक।

जान से प्यारा  तिरंगा, बोल हर-हर
नित इसे फहरायेंगे हम वीर बालक

अब किसी बन्दूक से हम क्या डरेंगे,
गोलियां सह जायेंगे हम वीर बालक।

क्या टिकेगा शत्रु अब सम्मुख हमारे,
तान सीना आयेंगे हम वीर बालक।
-रमेशराज



।। तिरंगा।।
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हम चाहें दिन-रात तिरंगा लहराए,
मिले शत्रु  को मात, तिरंगा लहराए।

चाहे जाए जान गोलियों  से या फिर
छलनी हो ये गात, तिरंगा लहराए।

जो पहरी बन सजग खड़ा है सीमा पर,
देंगे उसका साथ, तिरंगा लहराए।

हमने मेहनत के बल पर बढ़ना सीखा,
 हैं फौलादी हाथ, तिरंगा लहराए।

सच की खातिर अपनी जान गंवा देंगे,
हम ‘मीरा’, ‘सुकरात’, तिरंगा लहराए।

डाले बुरी  नजर जो अपने भारत पर,
है किसकी औकात? तिरंगा लहराए।
-रमेशराज



।। ऐसी थी झाँसी की रानी ।।
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बिजली-सी कड़का करती थी
शोलों-सी भड़का करती थी।

गोरों की सेना थर्राती
छोड़ समर फौरन भग जाती।

जब उठती तलवार युद्ध  में
दुश्मन माँगा करता पानी
ऐसी थी झाँसी की रानी।

आजादी के लिए लड़ी जो
अरिमर्दन को तुरत बढ़ी जो

जिसने कभी न झुकना सीखा
बस आगे ही बढ़ना सीखा

याद रहेगी बच्चो उसकी
युगों-युगों तक अमर कहानी
ऐसी थी झाँसी की रानी
-रमेशराज



।। जै जै हिन्दुस्तान ।।
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हम तो मानवतावादी हैं
देशप्रेम कर्त्तव्य हमारा
रंग-विरंगा अपना भारत
हमको इन्द्र-धनुष-सा प्यारा।
हम भारत के वीर जवान
जय-जय, जय-जय हिन्दुस्तान।।

हम सोना हैं, हम दमकेंगे
सूरज जैसे अब चमकेंगे
बर्फ सही, हम जब पिघलेंगे
गंगा जैसे तब निकलेंगे
दुश्मन को हम तीर-कमान
जय-जय, जय-जय हिन्दुस्तान।।
-रमेशराज



|| मेरा भारत ||
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सत्य अहिंसा का पूजक है,
जहां प्यार ही तो सब कुछ है,
सबका भला चाहने वाला-भारत है।

हिन्दू-मुस्लिम सिख-ईसाई
जिसमें सब रहते हैं भाई
बिना भेदभावों की शाला-भारत है।

राम-नाम की माला डाले,
जिसके कर में श्रम के छाले,
संत और मजदूरों वाला-भारत है।

जिसने अंधियारों से अक्सर
दीप-सरीखी जंगें लड़कर
सूरज बनकर भोर निकाला-भारत है।
+रमेशराज



|| जय जवान, जय किसान ||
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गोलियां खाते गये हम
गीत पर गाते गये हम,
देश है अपना महान
जय जवान,जय किसान।

हम नहीं सीखे हैं झुकना
राह में, रोड़ों में रुकना
हम पंडित या पठान
जय जवान, जय किसान।

हम सदा आगे बढ़े हैं
पर्वतों पर भी चढ़े हैं ,
फौलादी सीने को तान
जय जवान, जय किसान।

शत्रु को तलवार हैं हम
विषबुझे हथियार हैं हम,
मित्र का करते हैं मान
जय जवान, जय किसान।

लाल बहादुर की तरह हम
सत्य बोले हर जगह हम
चाहे निकले अपनी जान
जय जवान,जय किसान।
+रमेशराज
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+रमेशराज, 15/109, ईसानगर , अलीगढ़-202001
मोबा.-9634551630     




5 टिप्‍पणियां:

  1. दिनांक 26/01/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस प्रस्तुति में....
    सादर आमंत्रित हैं...

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  2. देशभक्ति की सुन्दर कविताएँ

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  3. सुन्दर शब्द रचनाएं
    गणत्रंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-01-2017) को "लोग लावारिस हो रहे हैं" (चर्चा अंक-2586) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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