समाज को सुरक्षा का एहसास,
क़ानून की अनुपालना के लिए
मुकम्मल मुस्तैद मॉनीटर,
मज़लूमों की इंसाफ़ की गुहार ,
हों गिरफ़्त में मुजरिम-गुनाहगार ,
हादसों में हाज़िर सरकार ,
ख़ाकी को दिया ,
सम्मान और प्यार ,
अफ़सोस कि इस रंग पर ,
रिश्वत ,क्रूरता ,बर्बरता,अमानवीयता,ग़ैर-वाजिब हिंसा ,
विवेकाधिकार का दंभ ,भेदभाव का चश्मा, काला पैसा ,
सत्ता के आगे आत्मसमर्पण ,
पूँजी की चौखट पर तर्पण,
ग़रीब फ़रियादी को दुत्कार ,
आसमां से ऊँचा अहंकार ,
मूल्यों-सिद्धांतों को तिलांजलि !
दे दी शपथ को भी श्रद्धांजलि !!
इतने दाग़-धब्बों के साथ,
ख़ाक में मिल गये हैं,
ख़ाकी को मिले अलंकरण ..!!!!!!
यक़ीनन हो समर्पित
जो किये हैं धारण
ख़ाकी रंग हूबहू
उन्हें शत-शत नमन।
#रवीन्द्र सिंह यादव
दिनांक 17/10/2017 को...
जवाब देंहटाएंआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
हार्दिक आभार भाई कुलदीप जी।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-10-2017) को भावानुवाद (पाब्लो नेरुदा की नोबल प्राइज प्राप्त कविता); चर्चा मंच 2760 पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी रचना को चर्चामंच में स्थान देने के लिए।
हटाएंसार्थक रचना
जवाब देंहटाएंमनोबल बढ़ाने के लिए आपका हार्दिक आभार।
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