चित्र गूगल से साभार
उन्होंने कहा सबसे प्यार करोजिन्दगी खुद ही
प्यारी हो जाएगी
मैंने कोशिश की पर
कर नहीं पाया
हर किसी को प्यार
दे नहीं पाया
उसने भी मेरा साथ न दिया
चाहा न उसने मुझे
बस देखती रही
मेरी जिंदगी से
वो इस तरह खेलती रही ,
न उतरी वो कभी
मेरी जिंदगी की झील में ,
बस किनारे पर बैठ कर पत्थर
फेकती रही ... !!
-- संजय भास्कर
भाई संजय जी आभार आप का...काफी दिनों बाद ब्लौग पर आया सबसे पहले आप की रचना पढ़ी आभार।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कुलदीप जी
हटाएंमन के भावों की उम्दा प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आशा जी
हटाएंआपकी रचना बहुत ही पसंद आई। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कहकशां खान जी
हटाएंक्या बात है आपने अपने मन के भाव की तूलिका से झील को रंग दिया ....भले ही वास्तविक जीवन में आपने सही रंगों का इस्तेमाल नहीं किया.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया प्रभात जी
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ओंकार जी
हटाएंशायद उसकी किस्मत नहीं थी .. वर्ना जो उतर गया पार भी हो गया ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना संजय जी ...
शुक्रिया नासवा जी
हटाएंशुक्रिया शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना
जवाब देंहटाएंन उतरी वो कभी
जवाब देंहटाएंमेरी जिंदगी की झील में ,
बस किनारे पर बैठ कर पत्थर
फेकती रही ... !!
सुन्दर शब्द रचना.............. बधाई
http://savanxxx.blogspot.in
Sunder rachna sanjay ji
जवाब देंहटाएंSunder rachna sanjay ji
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