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13 मार्च 2015

मेरी जिंदगी की झील में - संजय भास्कर

चित्र गूगल से साभार 
उन्होंने कहा सबसे प्यार करो
जिन्दगी खुद ही
प्यारी हो जाएगी
मैंने कोशिश की पर
कर नहीं पाया
हर किसी को प्यार
 दे नहीं पाया
उसने भी मेरा साथ न दिया
चाहा न उसने मुझे
बस देखती रही
मेरी जिंदगी से
वो इस तरह खेलती रही ,
न उतरी वो कभी
मेरी जिंदगी की झील में ,
बस किनारे पर बैठ कर पत्थर
फेकती रही ... !!

-- संजय भास्कर

17 टिप्‍पणियां:

  1. भाई संजय जी आभार आप का...काफी दिनों बाद ब्लौग पर आया सबसे पहले आप की रचना पढ़ी आभार।

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  2. मन के भावों की उम्दा प्रस्तुति |

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  3. आपकी रचना बहुत ही पसंद आई। धन्‍यवाद।

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  4. क्या बात है आपने अपने मन के भाव की तूलिका से झील को रंग दिया ....भले ही वास्तविक जीवन में आपने सही रंगों का इस्तेमाल नहीं किया.

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  5. शायद उसकी किस्मत नहीं थी .. वर्ना जो उतर गया पार भी हो गया ...
    अच्छी रचना संजय जी ...

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  6. न उतरी वो कभी
    मेरी जिंदगी की झील में ,
    बस किनारे पर बैठ कर पत्थर
    फेकती रही ... !!
    सुन्दर शब्द रचना.............. बधाई
    http://savanxxx.blogspot.in

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