डरा सा बैठा है सीने में कहीं
एक ख्याल तेरा
फिर कभी यूँ आंसुओं में बह जाता है
अरमान मेरा
चुप है आज जिन्दगी मेरी
चुप सा है आज
आसमान मेरा
ढूढती फिरती हूँ
बीते हुए लम्हों में तुझे
आँखों में आज भी है
इन्तेजार तेरा
ऐ जाने वाले एक बार तो समझ
ये अधुरा सा प्यार मेरा.....!!
लेखक परिचय - पलक
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ....सही कहा है ..
जवाब देंहटाएं....बढ़िया रचना ....
सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
अगर पसंद आये तो कृपया फोल्लोवेर बनकर अपने सुझाव दे
sundar rachna ..........badhayee
जवाब देंहटाएंAap sbhi ka dhanywaad..... Palak
जवाब देंहटाएंAap sbhi ka dhanywaad..... Palak
जवाब देंहटाएंBhaut Khub.....
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