ब्लौग सेतु....

25 जनवरी 2014

क्या मैं 'जिंदा' हूँ -- शिवनाथ कुमार


क्या मैं 'जिंदा' हूँ
'नहीं' तो थोड़ा एहसास
थोड़ी राख 'अतीत' की
भर दे कोई
मेरी मुठ्ठी में
गीत कोई गा दे 'वही'
 फिर से मेरे कानों में
और हो सके तो
पिला दे कोई मुझे
अमर संस्कारों की अमृत
करा दे स्पर्श
माँ की चरणों का
और लगा दे कोई
मिटटी मेरे बचपन की
कि मैं जिंदा हो जाऊँ फिर से
और चाँद उगने लगे
मेरे घर की देहरी पर
एक बार फिर से
हाँ, वैसे ही फिर से


-- शिवनाथ कुमार 


6 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी रचना इस मंच पर लाने के लिए शुक्रिया !

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ६५वें गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  3. और चांद उगने लगे मेरी देहरी पर फिर से। बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  4. ६५ वीं गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं !
    नई पोस्ट मेरी प्रियतमा आ !
    नई पोस्ट मौसम (शीत काल )

    जवाब देंहटाएं

स्वागत है आप का इस ब्लौग पर, ये रचना कैसी लगी? टिप्पणी द्वारा अवगत कराएं...