“तो क्या हो ……………”
तेरे पहलू में सर छुपा ले तो क्या हो
इस जहाँ को शमशान बना दे तो क्या हो
जी नहीं सकते इक पल भी तुम बिन
तुझे इस जहाँ से चुरा ले तो क्या हो
दामन-ए-वक़्त में है तेरा मिलना
वक़्त पे बांध बना दे तो क्या हो
कहने को कहते हैं “खुदी को कर बुलंद इतना ……”
खुद ख़ुदा को जमीं पे ला दे तो क्या हो
मोहब्बत और जंग में सब जायज़ हे शायद
जंग को मोहब्बत बना दे तो क्या हो
लड़ने को तो ज़िन्दगी हे सारी
अब के ये दो पल मोहब्बत से बिता दे तो क्या हो
तेरे पहलू में ……………….
========= लिखित ११ जून २००२
तो क्या हो...
जवाब देंहटाएंआभार भाई पुष्पेन्द्र भाई
बेहतरीन रचना
सादर
आभार आपका अपना समय देने के लिए.
हटाएंधन्यवाद
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 01/07/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
आभार, आपका समय और ध्यान देने के लिए.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
Tamam hasrato se paripurn rachna ..
जवाब देंहटाएंBahut khub ho...
आभार और धन्यवाद
हटाएंबेहतरीन रचना पुष्पेन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 17 जुलाई 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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