ब्लौग सेतु....

3 सितंबर 2016

अजीब कहानी

यहाँ हर धर्म की  इक  अजीब  कहानी  है 
अपना  खून  खून  दूसरों  का  पानी  है 
वक़्त की गजब चाल को समझे भी कैसे 
नफरत की गिरफ्त में यहाँ हर जवानी  है 
किसी के खून से जंगो का  फैसला नहीं होता 
कोई कांच को हीरा समझे तो उनकी नादानी है 
बैठे हैं जो आज भी मोहब्बत के इंतज़ार में 
मोहब्बत की गलियों में मगर अभी वीरानी है  
भटक गए हैं जो नफरत के घुप अंधियारे में 
चिराग ऐ मोहब्बत से जिंदगी में उनकी सहर लानी है 
मज़हब  की  दीवारें  मज़बूत  हुई  तो  क्या 
दिलों में बनी नफरत की दीवारें अब गिरानी है 
बहुत सो चुका अब तो जागना ही होगा हितेश  
अमन ओ चैन की लिखनी अब नयी कहानी है 

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा परसों सोमवार (05-09-2016) को "शिक्षक करें विचार" (चर्चा अंक-2456) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को नमन।
    शिक्षक दिवस की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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