ब्लौग सेतु....

27 अक्तूबर 2016

'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत




'नव कुंडलिया 'राजछंदमें रमेशराज के प्रणय गीत
-----------------------------------------------------------------

 'नव कुंडलिया 'राजछंद' में प्रणय गीत-1
-----------------------------------
जब वो बोले मिसरी घोले
मिसरी घोले हौले-हौले
हौले-हौले प्रिय मुसकाये
प्रिय मुसकाये मन को भाये
मन को भाये, मादक चितवन
मादक चितवन, अति चंचल मन
अति चंचल मन प्यार टटोले
प्यार टटोले जब वो बोले |
+रमेशराज


'नव कुंडलिया 'राजछंदमें प्रणय गीत -2
--------------------------------------
वे मुसकाते तम में आये
तम में आये, भाव जगाये
भाव जगाये मिलन-प्रीति का
मिलन-प्रीति का, रति-सुनीति का
रति-सुनीति का, दीप जलाये
दीप जलाये हम मुसकाये |
+रमेशराज

'नव कुंडलिया 'राजछंदमें प्रणय गीत -3
-----------------------------------
" पल-पल उसकी चंचल आँखें
चंचल आँखेंबादल आँखें
आँखें हरिणी जैसी सुंदर
सुंदर-सुंदर संकेतों पर
संकेतों पर मन हो चंचल
मन हो चंचलयारो पल-पल | "      
              (रमेशराज )


'नव कुंडलिया 'राजछंदमें प्रणय गीत-4
---------------------------------------
" पल-पल उससे मिलने को मन
मिलने को मनपागल-सा बन
पागल-सा बनउसे पुकारे
उसे पुकारेप्रियतम आ रे !
प्रियतम आ रेतब आये कल
तब आये कलजब हों रति-पल | "      
              (रमेशराज )
-----------------------------------------------------------
रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ-२०२००१

मो.-९६३४५५१६३०  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

स्वागत है आप का इस ब्लौग पर, ये रचना कैसी लगी? टिप्पणी द्वारा अवगत कराएं...