लम्बी खामोशी के बाद
एक दिन आवाज आई
“चलो फिर मिलते हैं’
तीर सी सिहरन
समूचे वजूद को सिहरा गई
कुछ देर की चुप्पी
और अन्तस् से एक आवाज उभरी
ऐसा है - “वक्त गुजर गया”
अब की बार नही
अगली बार मिलेंगे
बहुत काम बाकी हैं
जो हमारे साझी थे
कुछ मेरे और कुछ तुम्हारे
तुम्हारे पास शायद फुर्सत है
कुछ पुनरावलोकन कर लो
अगली बार ऐसा करना
मेरे और तुम्हारे काम साझा करना
अगर उसने चाहा तो
तो एक बार और सही
“चलो फिर मिलते हैं .”
XXXXX
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
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हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 01/11/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
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इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद कुलदीप जी !
जवाब देंहटाएंतुम्हारे पास शायद फुर्सत है
जवाब देंहटाएंकुछ पुनरावलोकन कर लो
-बिलकुल सही.
बहुत बढ़िया... शुभकामनाएँ दिवाली की!
जवाब देंहटाएंसुन्दर ।
जवाब देंहटाएंआप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ .
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