अपने लिए कभी न सोचा, बस सदा किया उपकार।
बदले में कुछ न चाहा तूने, बस बांटा केवल प्यार ।।
मेरी सुख-नींद की खातिर, रात-रात भर मां तू जागी।
दुनिया की हर खुशी मुझे दी, खुशियां अपनी त्यागीं।।
जग के झंझावात झेल कर, दिया हमेशा मुझे सहारा।
मेरे गिर्द बस रहा हमेशा, ऐ मां सुंदर संसार तुम्हारा।।
तेरे दुलार का तेरे प्यार का, कर्ज है मुझ पर माता।
कैसे उसे चुकाऊंगा मैं, समझ नहीं कुछ आता ।।
मां से बड़ी कोई मूरत है, यह मैं कभी ना मानूं ।
इससे प्यारी सूरत दुनिया में, दूजी मैं न जानूं ।।
मां की आंखें चंदा सूरज, मां के कदम में जन्नत।
मां की पूजा से बढ़ कर, दूजी कोई न मन्नत।।
मैंने की गलती तो तूने, हंस कर सदा था टाला।
खुद की सुध भूल के तूने, मुझको ऐसा पाला।।
आज मैं जो कुछ बन पाया, है तेरा आशीष।
ईश से आगे सदा मैं माता तुझे नवाता शीष।।
तुममें मंदिर मसजिद देखे, देखा और शिवाला।
तेरा आसन दिल में मेरे, कोई न लेनेवाला ।।
तुममें मेरे कृष्ण विराजें, और विराजें राम।
तुममें मेरे सारे तीरथ, हे मां तुम्हें प्रणाम।।
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