सुलझी हुई ज़िन्दगी उलझाने के लिए लिखता हूँ
भरे हुए घाव कुरेदने के लिए लिखता हूँ !
कुछ सर्द एहसास दब से गयें है भीतर
उनका भी राग सुनाने के लिए लिखता हूँ !
लश्कर है फिरता ग़मों का इस ज़हन में
उन सबकी तरबियत के लिए लिखता हूँ !
घर घड़ी जो तमन्नायें उफान मारती हैं
उन्हें बहलाने फुसलाने के लिए लिखता हूँ !
मुझे खबर है किसी के इंतज़ार की
इसलिए नहीं चाहते हुए भी लिखता हूँ !
क्या मालूम कब रुक जाये नब्ज़े हयात
अपना भी रंग छोड़ जाने के लिए लिखता हूँ !
भरे हुए घाव कुरेदने के लिए लिखता हूँ !
कुछ सर्द एहसास दब से गयें है भीतर
उनका भी राग सुनाने के लिए लिखता हूँ !
लश्कर है फिरता ग़मों का इस ज़हन में
उन सबकी तरबियत के लिए लिखता हूँ !
घर घड़ी जो तमन्नायें उफान मारती हैं
उन्हें बहलाने फुसलाने के लिए लिखता हूँ !
मुझे खबर है किसी के इंतज़ार की
इसलिए नहीं चाहते हुए भी लिखता हूँ !
क्या मालूम कब रुक जाये नब्ज़े हयात
अपना भी रंग छोड़ जाने के लिए लिखता हूँ !
लिखते रहिये अपने मन कि बाते
जवाब देंहटाएंसांझा किजीये...आपके शब्द संसार से
हम भी परिचित होते रहेंगे...
मनोभावो को व्यक्त करती सुंदर रचना....
:-)
Shukriya Sanjayji !!
हटाएंअपने जज़्बातों को व्यक्त करने के लिये लिखना ज़रूरी है...
जवाब देंहटाएंसुंदर आदरणीय...
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