गर आप फरमाइश करें
राजेश त्रिपाठी
हमने आज जलाये हैं , हौसलों के चिराग।
हवाओं से कहो, वे जोर आजमाइश करें।।
हम तो रियाया हैं, हमारी क्या बसर।
आप आका हैं, जो सात को
सत्ताइश करें।।
झुनझुने की तरह , हम आगे-पीछे बजते रहे।
सजदे में झुक जायेंगे, गर आप फरमाइश करें।।
मुसलसल आपकी जफाओं ने, मारा है हमें।
कितने आंसू अब तक बहे, आप पैमाइश करें।।
हाथों को काम मुंह को निवाला मिलता रहे।
खुदारा आप बस इतनी तो गुंजाइश करें।।
भूखे पेट जी रही है, देश की आधी अवाम।
और आप हैं कि शानो शौकत की नुमाइश करें।।
देश का अमनो अमान हो गया है काफूर।
आग है लगी हुई, आप वो करें जो तमाशाई करें।।
sundar rachna .................badhayee
जवाब देंहटाएंक्या बात है. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
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