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16 जुलाई 2015

ईद का चांद देखकर...तुमसे मिलने की दुआ मांगी थी...


ईद का चांद देखकर
कभी दिल ने
तुमसे मिलने की
दुआ मांगी थी...

उसी लम्हा
कितने अश्क
मेरी आंखों में
भर आए थे...

ईद का चांद देखकर
कभी दिल ने
तुमसे मिलने की
दुआ मांगी थी...

उसी लम्हा
कितनी यादें मेरे तसव्वुर में
उभर आईं थीं...

ईद का चांद देखकर
कभी दिल ने
तुमसे मिलने की
दुआ मांगी थी...

उसी लम्हा
कितने ख़्वाब
इन्द्रधनुषी रंगों से
झिलमिला उठे थे...

ईद का चांद देखकर
कभी दिल ने
तुमसे मिलने की
दुआ मांगी थी...

उसी लम्हा
मेरी हथेलियों की हिना
ख़ुशी से
चहक उठी थी...

ईद का चांद देखकर
कभी दिल ने
तुमसे मिलने की
दुआ मांगी थी...

उसी लम्हा
शब की तन्हाई
सुर्ख़ गुलाबों-सी
महक उठी थी...

ईद का चांद देखकर
कभी दिल ने
तुमसे मिलने की
दुआ मांगी थी...
-फ़िरदौस ख़ान

तस्वीर गूगल से साभार

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