यहाँ हर धर्म की इक अजीब कहानी है | ||||
अपना खून खून दूसरों का पानी है | ||||
वक़्त की गजब चाल को समझे भी कैसे | ||||
नफरत की गिरफ्त में यहाँ हर जवानी है | ||||
किसी के खून से जंगो का फैसला नहीं होता | ||||
कोई कांच को हीरा समझे तो उनकी नादानी है | ||||
बैठे हैं जो आज भी मोहब्बत के इंतज़ार में | ||||
मोहब्बत की गलियों में मगर अभी वीरानी है | ||||
भटक गए हैं जो नफरत के घुप अंधियारे में | ||||
चिराग ऐ मोहब्बत से जिंदगी में उनकी सहर लानी है | ||||
मज़हब की दीवारें मज़बूत हुई तो क्या | ||||
दिलों में बनी नफरत की दीवारें अब गिरानी है | ||||
बहुत सो चुका अब तो जागना ही होगा हितेश | ||||
अमन ओ चैन की लिखनी अब नयी कहानी है |
कविता मंच प्रत्येक कवि अथवा नयी पुरानी कविता का स्वागत करता है . इस ब्लॉग का उदेश्य नये कवियों को प्रोत्साहन व अच्छी कविताओं का संग्रहण करना है. यह सामूहिक
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3 सितंबर 2016
अजीब कहानी
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वाह...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा परसों सोमवार (05-09-2016) को "शिक्षक करें विचार" (चर्चा अंक-2456) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को नमन।
शिक्षक दिवस की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आप सभी का बहुत धन्यवाद
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