प्रस्तुत है श्री
अटल बिहारी वाजपेयी जी की यह कविता जो मुझे बहुत प्रिय है .............
पंथ जीवन का
चुनौती दे रहा है हर कदम पर ,
आखिरी मंजिल नहीं
होती कहीं भी दृष्टिगोचर ,
धूलि से लद ,स्वेद से सिंच, हो गई है देह भारी,
कौन - सा विश्वास
मुझको खींचता जाता निरंतर !
पंथ क्या, पथ की थकन क्या
स्वेद कण क्या,
दो नयन मेरी
प्रतीक्षा में खड़े हैं !
एक भी संदेश आशा
का नहीं देते सितारे ,
प्रकृति ने मंगल
शकुन - पथ में नहीं मेरे संवारे ,
विश्व का
उत्साहवर्धक शब्द भी मैंने सुना कब ,
किन्तु बढ़ता जा
रहा हूँ लक्ष्य पर किसके सहारे !
विश्व की अवहेलना
क्या ,
अपशकुन क्या, दो नयन मेरी प्रतीक्षा में खड़े हैं !
चल रहा है पर
पहुंचना लक्ष्य पर इसका अनिश्चित ,
कर्म कर भी
कर्मफल से यदि रहा यह पथ वंचित,
विश्व तो उस पर
हंसेगा ,खूब भूला ,खूब भटका !
किन्तु गा यह पंक्तियाँ दो वह करेगा धैर्य संचित !
व्यर्थ जीवन ,व्यर्थ जीवन
की लगन क्या ,
दो नयन मेरी
प्रतीक्षा में खड़े हैं ?
अब नहीं उस पार
का भी भय मुझे कुछ सताता ,
उस तरफ के लोक से
भी जुड़ चुका है एक नाता ,
मैं भी उसे भूला
नहीं वह भी नहीं भूली मुझे भी ,
मृत्यु पथ पर भी
बढूंगा, मोद से यह गुनगुनाता -
अंत यौवन ,अंत जीवन
का, मरण क्या
दो नयन मेरी
प्रतीक्षा में खड़े हैं !
आभार साझा करने का ....
जवाब देंहटाएंवाजपेयी जी की बहुत सुन्दर जीवन अनुभव से भरी रचना प्रस्तुति हेतु धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - रविवार - 13/10/2013 को किसानी को बलिदान करने की एक शासकीय साजिश.... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः34 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
जवाब देंहटाएंएक भी संदेश आशा का नहीं देते सितारे ,
जवाब देंहटाएंप्रकृति ने मंगल शकुन - पथ में नहीं मेरे संवारे ,
विश्व का उत्साहवर्धक शब्द भी मैंने सुना कब ,
किन्तु बढ़ता जा रहा हूँ लक्ष्य पर किसके सहारे !
प्रांजल भाषा में अप्रतिम भावाभिव्यक्ति।
इस कविता को अपने ब्लॉग पर साँझा करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसाझा करने केलिए शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंअभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
एक भी संदेश आशा का नहीं देते सितारे ,
जवाब देंहटाएंप्रकृति ने मंगल शकुन - पथ में नहीं मेरे संवारे ,
विश्व का उत्साहवर्धक शब्द भी मैंने सुना कब ,
किन्तु बढ़ता जा रहा हूँ लक्ष्य पर किसके सहारे !
प्रांजल भाषा में अप्रतिम भावाभिव्यक्ति।
कैसे हैं बाजपाई जी इन दिनों पिछले दिनों काफी अस्वस्थ हो गए थे खैरियत तो है।
साँझा करने के लिए आभार........
जवाब देंहटाएंEk Achhi Kavita Bjapai Ji Dwara, Thank You So Much, Padhe, Love Poems, प्यार की कहानियाँ Aur Bhi Bahut Kuch Online.
जवाब देंहटाएंअटल जी की रचनाओं का अलग ही स्वाद है ... शुक्रिया साझा करने के लिए ...
जवाब देंहटाएं