आरक्षण मदभेद है ,
और भारत माँ को भी खेद है ,
बट गए हम अपनो मे,
और जातियो से प्रतिछेद है ,
वाह रे वाह सरकार इस देश की,
तु इंसान के वेश मे प्रेत है ,
कभी ये देश सोने की चिड़िया था
अब तो बस
रेत है ,
और भारत माँ को भी खेद है,
आतंक मचाया सरकार ने खुद और रुपये से भी उसकी कुर्सी-मेज है ,
रोको दुनिया वालो और फैलादो संदेश मेरा ,
नहीं तो आगे हमारी जिंदगी निषेद है ,
और भारत माँ को भी खेद है !!!
"मित्रो इस संदेश को दूर-दूर तक फैलाये "
लेखक - समीर महाजन
और भारत माँ को भी खेद है ,
बट गए हम अपनो मे,
और जातियो से प्रतिछेद है ,
वाह रे वाह सरकार इस देश की,
तु इंसान के वेश मे प्रेत है ,
कभी ये देश सोने की चिड़िया था
अब तो बस
रेत है ,
और भारत माँ को भी खेद है,
आतंक मचाया सरकार ने खुद और रुपये से भी उसकी कुर्सी-मेज है ,
रोको दुनिया वालो और फैलादो संदेश मेरा ,
नहीं तो आगे हमारी जिंदगी निषेद है ,
और भारत माँ को भी खेद है !!!
"मित्रो इस संदेश को दूर-दूर तक फैलाये "
लेखक - समीर महाजन
संजय जी
जवाब देंहटाएंआभारी हु आपका इस मंच पर मेरी रचना लाने के लिए !!
Lajawab ravhna ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!
हटाएंDigamber ji
काबीलै tarif
जवाब देंहटाएंये आरक्षण अंग्रेजो की देंन है | सन 1891 में जब अंग्रेज सरकार थी, तब उस सरकार ने कुछ नौकरिया निकाली | लेकीन अंग्रेज अफसर चालाकी से सारे पदों पर हमेशा अंग्रेजो को रखते थे जिसके खिलाफ भारतीयों ने आवाज उठाई और अंग्रेज सरकार ने भारतीयों के लिए कुछ पद आरक्षित कर दिए |
जवाब देंहटाएंइस तरह ये प्रणाली अंग्रेजो द्वारा लाई गई है, जिसे आजादी के बाद आंबेडकर ने नया रूप दिया |
ये आरक्षण हटाना ही चाहिए |
और ये लोग अपनी औकात क्यों भूल जाते है | ये SC / ST हमारी बराबरी क्या करेंगे | एक बार आरक्षण ख़त्म हो जाने दो फिर देखना कैसे इनको कोई भी नौकरी मिलती है | हम सारे पदों पर हमारे ही लोगो को बैठाएंगे, देख लेना हम इनको फिर से सड़क पर ले आएंगे |हम इनको गटर में फेंक देंगे, ये गन्दी नाली के कीड़े | हम इनका अस्तित्व मिटा देंगे |