ब्लौग सेतु....

16 दिसंबर 2014

मौसमे-मुहब्बत

मुहब्बतों के मौसम में यूँ तूफानों का आना क्यों |
बातों हों तो प्यार की ये दर्द भरा अफ़साना क्यों ||

मैं सुलझाऊं जुल्फ़ें तेरी आ मोतियन से माँग भरूँ |
बैठ जा नज़रों के आगे शर्मो-हया का बहाना क्यों ||

बरसों से बसेरा दिल है तेरा इस दीवाने-यार का |
पूछ रहे गैरों से जाकर मन में बसा ठिकाना क्यों ||

रिमझिम करते आए बादल सावन ने रंग घोला है |
मुहब्बतों की बारिशें हैं जलता मगर जमाना क्यों ||

कहले जो कुछ कहना मुझसे मैं तेरी सब सुन लूँगा |
मुहब्बत के झगड़ों की बातें गैरों को बतलाना क्यों ||

आँखों में उमड़े हैं अरमां झिलमिल करते सपने हैं |
उड़ना हैं अंबर से आगे आँधी से घबराना क्यों ||


...............................................© केशरीलाल स्वामी केशव

3 टिप्‍पणियां:

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