ब्लौग सेतु....

31 अगस्त 2015

सन्नाटा........दीपक सैनी

गहरा सन्नाटा है
शोर से पहले
और
शोर के बाद
जानते हुए भी
खोये रहते है इसी शोर में
हजारों पाप की गठरी लादे
चले जाते है
भूल कर उचित अनुचित
मगन रहते है
इसी शोर में
जो क्षणिक है
अन्जान  बने रहते है
उस सन्नाटे से
जो सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बाद

लेखक परिचय - दीपक सैनी

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