ये कैसा सरकार ने कदम उठा रखा है
जंग गरीबो पे खतरनाक चला रखा है
गरीबो को हटाना है, उन्ही के देश से
प्याज की बढती कीमत तो एक बहाना है
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दो बूँद पानी की मिल जाए , शुक्र है
हम गरीबो को और, क्या ज्यादा सुख है
लूटने के लिए सारा देश तो दे रखा है
अब क्या हमारी आत्मा से भी बैर निभाना है
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लाल बत्ती के शोर में गुम है इतने
हमारी आँखों से गिरते आँसू की आवाज ,
कहाँ सुन पाएँगे
आतंक से जंग तो जीत नहीं पाए
अब क्या हम गरीबो के सीने पे
बन्दूक चलायेगे ??
लेखक परिचय - राहुल कुमार
कुर्सी के आगे कुछ नहीं दीखता...बड़ी बिडम्बना है देश की ... \
जवाब देंहटाएंसार्थक चिंतन ..
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (13-03-2016) को "लोग मासूम कलियाँ मसलने लगे" (चर्चा अंक-2280) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सार्थक व प्रशंसनीय रचना...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।
सटीक
जवाब देंहटाएंसमयानुकूल
सादर