हर किसी ने दिल में
बदरंग तस्वीर उतारी क्यों है |
आज मुल्क में मोहब्बत पर नफरत भारी क्यों
है |
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मजहब की चादर से अमन धुल सा गया है |
और आज का इंसान नफरत का पुजारी क्यो है |
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जिस मुल्क के रुखसार पर चमकते थे चाँद
सितारे |
वहां चौदहवी की रात आज अंधियारी क्यो है |
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पूरी दुनिया में शांति की मिशाल थे हम |
फिर अपने ही घर में कत्लेआम जारी क्यों
है |
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सुना है दिल का अमीर होता है हर
हिंदुस्तानी |
फिर हर शक्श मोहब्बत बांटने में भिखारी
क्यों है |
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जीती थी हमने इस जहाँ में दिलों की हर
बाजी |
फिर अमन चैन के खेल में अपनी हार करारी
क्यों है |
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देता है जो मुल्क दुनिया को पैगाम ऐ
मोहब्बत |
फिर अपने मुल्क से गद्दारी की तैयारी क्यों
है |
kyun hai sach me !
जवाब देंहटाएंsundar gazal
बढ़िया समसामयिक गजल ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया समसामयिक गजल ।
जवाब देंहटाएंThanks you all
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