ब्लौग सेतु....

29 मई 2016

एक गजल

हाथ खाली हैं बिटिया सयानी हो गयी

राजेश त्रिपाठी

मुश्किलें हैं और जाने कितने अजाब हैं।
जिंदगी की बस इतनी कहानी हो गयी।।

अधूरे रह गये जाने कितने ख्वाब हैं।
मुश्किलों के हवाले जिंदगानी हो गयी।।

लाखों करोड़ों  में अब बिकते हैं दूल्हे ।
पावन परिणय की रवायत खो गयी ।।

दर्द कौन पढ़ सकता है उस शख्स का।
हाथ खाली हैं, बिटिया सयानी हो गयी।।

सियासत की चालों का है ऐसा असर।
हर गली कुरुक्षेत्र की कहानी हो गयी।।

नफरतों के गर्त में है अब जिंदगी ।
अमन तो अब बीती कहानी हो गयी।।

तरक्की का ढोल तो सब पीट रहे हैं ।
पर बद से बदतर जिंदगानी हो गयी।।

बढ़ रहे हैं अब दिलों के बीच फासले।
एकजहती तो अब बेमानी हो गयी।।

दिल में नफरत, हाथ में खंजर जहां।
अमन की बात इक कहानी हो गयी।।

अजाब=दुख, दर्द, पीड़ा



10 टिप्‍पणियां:

  1. अमन की बात इक कहानी हो गयी
    वाह...
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरे भावों के समर्थन के लिए धन्यवाद यशोदा जी।

      हटाएं
  2. बढ़ रहे हैं अब दिलों के बीच फासले।
    एकजहती तो अब बेमानी हो गयी।।

    दिल में नफरत, हाथ में खंजर जहां।
    अमन की बात इक कहानी हो गयी।।

    बहुत सुन्दर सामयिक गजल ..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरे भावों के समर्थन के लिए धन्यवाद यशोदा जी।

      हटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (30-05-2016) को "आस्था को किसी प्रमाण की जरुरत नहीं होती" (चर्चा अंक-2356) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

स्वागत है आप का इस ब्लौग पर, ये रचना कैसी लगी? टिप्पणी द्वारा अवगत कराएं...