क्या बताओगे
आने वाली पीढ़ी को
कि
सिर्फ दिमाग लेकर ही
पैदा हुआ था
आज का इंसान
दिल नहीं था
इसके पास
निज स्वार्थ के आगे
मानवता भी भूला
द्वंद्व है मन के अंदर
सच कहूं तो
अपनी हालत पर
दया से ज्यादा
गुस्सा आता है
जो आज
अपने आप से ही
मुंह छुपाता
फिर रहा हो
जो खुद को
निरन्तर छल रहा हो
जिसके पास
आज के लिए जवाब न हो
कल को क्या जवाब दे पायेगा !!
लेखक परिचय - संध्या शर्मा
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 08/07/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
सार्थक प्रयास। अंतर्द्वंद को यहाँ देखकर प्रसन्नता हुई। आभार व शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रयास। अंतर्द्वंद को यहाँ देखकर प्रसन्नता हुई। आभार व शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (09-07-2016) को "आया है चौमास" (चर्चा अंक-2398) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर सामयिक रचना ..
जवाब देंहटाएंसच लिखा है ... भावपूर्ण रचना है ...
जवाब देंहटाएंअंतर्द्वंद का व्याख्या
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