ब्लौग सेतु....

8 जुलाई 2016

सुनो तो

सुनो तो
काली घनेरी बूँद से पूछो क्यों रो दिए
इंसान हर तरफ मिला इंसान खो दिए ।

मंदिर हो या मस्जिद कहीं कलीसा सभी जगह
वो तू ही था हर उस जगह, जिसको नज़र किये ।

ऐसा लगे क्यों तुझमे नहीं है कोई रहम
या फिर गुनाह कर दिए अल्लाह जो कहे ।

मजहब नहीं सीखता है गर आपस में रखना बैर
फिर क्यों उसी के नाम पर इतने कतल किये ।

क्या माँ के नाम से बड़ा दुनिया में है मजहब
वो कौन सी आयत थी जो माँ ही ले गए ।
(http://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/twin-allegedly-killed-mother-after-being-stopped-from-joining-isis/articleshow/53080931.cms)

तुझको जरा भी है लगी इस कायनात से
इंसानियत तू ही पढ़ा या कर फ़ना उन्हें ।

है इल्तिज़ा नहीं मेरी हर दिल की है दुआ
तेरी राज़ा का आसरा है आज भी हमें ।

दरिया ख़ुलूस की बहा नहीं तो सुनेगा फिर
इंसान हर तरफ मिला इंसान खो दिए ।

====== ६ जुलाई २०१६ को लिखित





4 टिप्‍पणियां:

  1. मजहब नहीं सीखता है गर आपस में रखना बैर
    फिर क्यों उसी के नाम पर इतने कतल किये ।

    क्या माँ के नाम से बड़ा दुनिया में है मजहब
    वो कौन सी आयत थी जो माँ ही ले गए ।
    उम्दा रचना

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  2. बहुत सुंदर! बेहतरीन पंक्तियाँ....

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ... लाजवाब और आज के सन्दर्भ में गज़ब के शेर ...

    जवाब देंहटाएं

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