माँ मुझे गोंद में फिर आना है
बारिश से मुझे बचा लो
गोदी में अचरे से छुपा लो
आँखों में कजरा लगा दो
सुबह मुझे स्नान करा दो
पढ़के स्कूल से थके आना है
माँ मुझे★★★
डांट मिली तो दुलरा दो
चम्पक दे मन बहला दो
शाम हुयी तो दूध पिला दो
चांदनी रात में कथा सुना दो
खिलौने पाने की जिद करना है
माँ मुझे★★★
जो मैं खाऊं वही बना दो
बात बात में मुझे हंसा दो
रोते हुए मुझे बहला दो
सरसों से लेपन कर दो
भूत न आये छुप जाना है
माँ मुझे★★★
माँ मुझे गोंद में फिर आना है
बारिश से मुझे बचा लो
गोदी में अचरे से छुपा लो
आँखों में कजरा लगा दो
सुबह मुझे स्नान करा दो
पढ़के स्कूल से थके आना है
माँ मुझे★★★
डांट मिली तो दुलरा दो
चम्पक दे मन बहला दो
शाम हुयी तो दूध पिला दो
चांदनी रात में कथा सुना दो
खिलौने पाने की जिद करना है
माँ मुझे★★★
जो मैं खाऊं वही बना दो
बात बात में मुझे हंसा दो
रोते हुए मुझे बहला दो
सरसों से लेपन कर दो
भूत न आये छुप जाना है
माँ मुझे★★★
बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंमाँ के प्रति ये सम्मोहन ये प्रेम .... माँ के उस निस्वार्थ प्रेम का प्रतिकार ही है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है ...
बिकुल सही कहा आपने ....शुक्रिया
हटाएंआभार
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