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2 दिसंबर 2015

उम्रक़ैद .......... निधि टंडन

तुमने हमेशा कहा
किसी को तुम अपने करीब नहीं आने देते
इस सब के बावजूद
तुम्हारे जीवन में मैं आयी
तुमसे बिन पूछे
जबरन तुम्हारे दिल में जगह भी बनायी.
इधर कुछ दिनों से लगता है कि
हर एक बात पर
तुम मुझे एक तख्ती दिखा देते हो
कि
घुसपैठियों का प्रवेश मना है
और यह धृष्टता मैंने करी है
तो इसकी सज़ा लाजमी है
तुम बता दो कि
सज़ा मेरी क्या होगी
मुझे जाना होगा
तुम्हारे दिल को छोड़
अपनी दुनिया में वापस
या फिर तेरे दिल में ही रहने की
उम्र क़ैद मुझे मयस्सर होगी !!

लेखक परिचय -- निधि टंडन 


9 टिप्‍पणियां:

  1. आप सभी का शुक्रिया,रचना को पढ़ने और पसंद करने के लिये।
    रचना को कविता मंच में सम्मिलित करने हेतु धन्यवाद,यशोदा।

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  2. आप सभी का शुक्रिया,रचना को पढ़ने और पसंद करने के लिये।
    रचना को कविता मंच में सम्मिलित करने हेतु धन्यवाद,यशोदा।

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  3. आपकी लिखी रचना एक बार पुनः "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 07 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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