लो यू ही एक और साल हो गया व्यतीत |
और बढ़ चला है आप अपना अतीत |
हर साल इक नया साल आता ही रहेगा |
इच्छाओं का दीपक हर दिल मे जलता ही रहेगा |
बूँद - बूँद मिलकर यादो का सागर बनता रहेगा |
साहिल मन अब और कितने तुफानो को और सहेगा |
शायद पुराने रिश्तो की आग को कोई अब हवा दे |
बुझी हुई चिंगारी की राख कोई अब दिल से हटा दे |
दिल के अँधेरे मे चाहत की रौशनी हो तो बात बने |
कोई इस दिल मे आन बसे तो नए साल की सौगात बने |
नया साल आया और पुराना गया, ये तो अक्सर होता है |
पर हर साल उम्मीद टूटना, दिल मे नस्तर चुभोता है |
मिलन की हरियाली से ये साल सदाबहार बने |
खुशियों के खरीददारों से, खुशहाल सारा बाजार बने |
करो दुआ सब, कि चाहत के फूल हर दिल मे खिले |
नए साल पर सब नफरत भूल, प्रेम से गले मिले |
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29 दिसंबर 2015
उम्मीद नए साल की ..................हितेश कुमार शर्मा
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आपने लिखा...
जवाब देंहटाएंऔर हमने पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की जा रही है...
आप भी आयीेगा...
aapka bahut abhaar
हटाएंक्षमा करें...
हटाएंआपने लिखा...
जवाब देंहटाएंऔर हमने पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 30/12/2015 को...
पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की जा रही है...
आप भी आयीेगा...
सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावशाली रचना......बहुत बहुत बधाई.....
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
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