ब्लौग सेतु....

15 मार्च 2016

तुम्हारा बन जाऊँगा (ग़ज़ल)

           तू एक बार बुलाकर तो देख, तुम्हारा  बन जाऊंगा  
हो नज़र तो तेरी आसमान पर, तो सितारा बन जाऊंगा

तुझसे मिलने की आरज़ यूं ही कब तक रहेगी अधूरी 
अगर तुझ रौशनी से डर है , तो अँधियारा बन जाऊंगा

तुम क्यो रूठी बैठी हो बेदर्द ज़माने के दस्तूर से 
तेर लिए कुदरत का हसीं नज़ारा बन जाऊँगा 

बेवजह गम के दरिया में यूं ही डूबना ठीक बात नहीं 
तेरी मोहब्बत की किस्ती का मै किनारा बन जाऊँगा 

तुम तनहा मत समझो इस ज़माने में खुद को 
तू हाथ बढ़ा कर देख, तेरा सहारा बन जाऊँगा 

बुरा वक़्त कभी पूछ कर नही आता जिंदगी में 
तेरी ख़ुशी की खातिर अच्छे वक़्त का इशारा बन जाऊंगा 

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