खुदा कसम अगर वो बेनकाब हो जाये |
बरसो पुराना सच मेरा ख्वाब हो जाये |
एक बार जो छू ले वो बहते दरिया का पानी |
तो सारे के सारे समंदर भी शराब हो जाये |
इनायत उनकी निगाहों की जो हो मुझ पर |
मेरे सारे सवाल खुद ही जबाब हो जाये |
वो ठंडी आह ही भरें जो किसी की खातिर |
तो दिलजला आफताब भी महताब हो जाये |
मेरी दीवानगी की हद्द बस तेरी झलक तक है |
पर वो झलक एक बार लाजबाब हो जाये |
नहीं तुझे हासिल करना है हितेश का मक़सद |
तेरी यादें ही मेरी जिंदगी की किताब हो जाये |
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20 अप्रैल 2016
सच मेरा ख्वाब हो जाये (ग़ज़ल)
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अति सुंदर.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 21 अप्रैल 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंaapka bahut bahut dhanywaad
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
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