🌹 वह🌹
खामोशी के सागर में,
मुस्कान कंकड़ डाल |
खुशियों की लहरें,
बना जाता है वह |
भुलाना चाहूँ, तो भी,
भूल से याद आ जाता है वह |
दुनियाँ के दरिया मे,
टुटी नैया पर सवार हूँ मै,
टुटी नैया मे,
अहं की छोटी पतवार हूँ मै.
फिर भी अहं को भूला कर मेरे,
सन्मार्ग मुझे दिखा जाता है वह |
भूलाना चाहूँ तो भी,
भूल से याद आ जाता है वह |
भूल तो जाउँ उसे पर,
कैसे भुलाउँ उपकार उसका |
समीर उसकी, नीर उसका |
मुफ्त मे, प्राण चेतना,
सबको दे जाता है वह. |
भूलाना चाहूँ तो भी,
भूलकर याद आ जाता है वह |
जी. एस. परमार
खानखेड़ी नीमच म. प्र.
खामोशी के सागर में,
मुस्कान कंकड़ डाल |
खुशियों की लहरें,
बना जाता है वह |
भुलाना चाहूँ, तो भी,
भूल से याद आ जाता है वह |
दुनियाँ के दरिया मे,
टुटी नैया पर सवार हूँ मै,
टुटी नैया मे,
अहं की छोटी पतवार हूँ मै.
फिर भी अहं को भूला कर मेरे,
सन्मार्ग मुझे दिखा जाता है वह |
भूलाना चाहूँ तो भी,
भूल से याद आ जाता है वह |
भूल तो जाउँ उसे पर,
कैसे भुलाउँ उपकार उसका |
समीर उसकी, नीर उसका |
मुफ्त मे, प्राण चेतना,
सबको दे जाता है वह. |
भूलाना चाहूँ तो भी,
भूलकर याद आ जाता है वह |
जी. एस. परमार
खानखेड़ी नीमच म. प्र.
आपने लिखा...
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 26/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 284 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
वाह ... बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
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